Hindi, asked by prateek4457, 9 months ago

Sanskrit Bhasha par Shlok ​

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Answered by nishuyadav550
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Answer:

स्वजनं तर्पयित्वा यः शेषभोजी सोऽमृतभोजी ॥

भावार्थ :

अपनी शक्ति को जानकर ही कार्य आरंभ करें ।

नास्ति भीरोः कार्यचिन्ता ॥

भावार्थ :

कायर को कार्य की चिन्ता नहीं होती ।

नास्त्यप्राप्यं सत्यवताम् ॥

भावार्थ :

सत्य-सम्पन्न लोगों के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं हैं ।

संस्कृतं देवानं भाषा अस्ति ॥

भावार्थ :

संस्कृत देवताओं की भाषा है ।

संतोषवत् न किमपि सुखम् अस्ति ॥

भावार्थ :

संतोष के समान कोई सुख नहीं है ।

ईश्वरस्य पूजा वृथा न भवति ॥

भावार्थ :

ईश्वर की पूजा व्यर्थ नहीं जाती है ।

संस्कृतं भाषाणां जननी अस्ति ॥

भावार्थ :

संस्कृत भाषाओं की जननी है ।

छात्राणां धर्मः अध्ययनम् अस्ति ॥

भावार्थ :

छात्रों का धर्म अध्ययन है ।

विद्या धनेषु उत्तमा वर्त्तते ॥

भावार्थ :

विद्या धनों में उत्तम है ।

सदा सत्यं वदेत् ॥

भावार्थ :

सदा सत्य बोलना चाहिए ।

Answered by pulkitagarwal10
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Answer:

सत्य -सत्यमेवेश्वरो लोके सत्ये धर्मः सदाश्रितः । सत्यमूलनि सर्वाणि सत्यान्नास्ति परं पदम् ॥

भावार्थ :

सत्य ही संसार में ईश्वर है; धर्म भी सत्य के ही आश्रित है; सत्य ही समस्त भव - विभव का मूल है; सत्य से बढ़कर और कुछ नहीं है ।

written by valmiki ramayana

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