sanskrit ma
वृक्षो का महत्व बाताते हए पाँच श्लोक लिखिए ( चित्र सहित )
Answers
Answered by
8
पर्यावरण वृक्षारोपण
श्रीमद्भागवत में श्रीकृष्ण युधिष्ठिर को वृक्षों का महत्त्व बताते हुये कहते हैं
1.पश्यैतान् महाभागान् पराबैंकान्तजीवितान्।वातवर्षातपहिमान् सहन्तरे वारयन्ति नः॥
वृक्ष इतने महान् होते हैं कि परोपकार के लिये ही जीते हैं। ये आँधी, वर्षा और शीत को स्वयं सहन करते हैं।
2.अहो एषां वरं जन्म सर्वप्राण्युपजीवनम्।सुजनस्यैव येषां वै विमुखा यान्ति नार्थिनः॥
इनका जन्म बहुत अच्छा है क्योंकि इन्हीं के कारण सभी प्राणी जीवित हैं। जिस प्रकार किसी सज्जन के सामने से कोई याचक खाली हाथ नहीं जाते उसी प्रकार इन वृक्षों के पास से भी कोई खाली हाथ नहीं जाता।
3.पुत्रपुष्यफलच्छाया मूलवल्कलदारुभिः।गन्धनिर्यासभस्मास्थितौस्मैः कामान् वितन्वते॥
ये हमें पत्र, पुष्प, फल, छाया, मूल, बल्कल, इमारती और जलाऊ लकड़ी, सुगंध, राख, गुठली और अंकुर प्रदान करके हमारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
4.एतावज्जन्मसाफल्यं देहिनामिह देहिषु।प्राणैरर्थधिया वाचा श्रेय एवाचरेत् सहा॥
हर प्राणी का कर्तव्य है कि वह अपने प्राण, धन, बुद्धि तथा वाणी से अन्यों के लाभ हेतु कल्याणकारी कर्म करे।
5.पुष्प-पत्र-फलच्छाया. मूलवल्कलदारुभिः।धन्या महीरुहा येषां. विमुखा यान्ति नार्थिनः ॥
वे वृक्ष धन्य हैं जिनके पास से याचक फूल, पत्ते, फल, छाया, जड़, छाल और लकड़ी से लाभान्वित होते हुए कभी भी निराश नहीं लौटते।
Similar questions