CBSE BOARD XII, asked by tannumannuji, 3 months ago

sanskrit me kitne prakar sandhi hai ​

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Answered by Anonymous
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Answer:

Sandhi – Sanskrit Vyakaran

सन्धि की परिभाषा – वर्ण सन्धान को सन्धि कहते हैं। अर्थात् दो वर्गों के परस्पर के मेल अथवा सन्धान को सन्धि कहा जाता है। पाणिनीय परिभाषा – “परः सन्निकर्षः संहिता” अर्थात् वर्णों की अत्यधिक निकटता को संहिता कहा जाता है। जैसे—'सुधी + उपास्य' यहाँ 'ई' तथा 'उ' वर्गों में अत्यन्त निकटता है।

Answered by legend8718
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Answer:

जब दो स्वरों का सन्धान अथवा मेल होता है, तब वह सन्धान स्वर – सन्धि या अच् सन्धि कही जाती है। यहाँ अच् – सन्धि में स्वर के स्थान पर आदेश होता है। स्वर – सन्धियाँ आठ प्रकार की होती हैं। जैसे –

अ + अ = आ – पुष्प + अवली = पुष्पावली

अ + आ = आ – हिम + आलय = हिमालय

आ + अ = आ – माया + अधीन = मायाधीन

आ + आ = आ – विद्या + आलय = विद्यालय

इ + इ = ई – कवि + इच्छा = कवीच्छा

इ + ई = ई – हरी + ईश = हरीश

इ + इ = ई – मही + इन्द्र = महीन्द्र

इ + ई = ई – नदी + ईश = नदीश

उ + उ = ऊ – सु + उक्ति = सूक्ति

उ + ऊ = ऊ – सिन्धु + ऊर्मि = सिन्धूमि

ऊ + उ = ऊ – वधू + उत्सव = वधूत्सव

ऊ + ऊ = ऊ – भू + ऊर्ध्व = भूल

ऋ+ ऋ = ऋ – मात + ऋण = मातण

स्वर सन्धि मे सन्धियाँ 7 प्रकार की होती हैं-

यण – सन्धि

अयादि सन्धि

गुण – सन्धि

वृद्धि सन्धि

सवर्णदीर्घ सन्धि

पूर्वरूप सन्धि

पररूप सन्धि

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