Environmental Sciences, asked by sandhya198510, 3 months ago

Sanskrit mein paryavaran par paanch shlok
संस्कृत में पर्यावरण पर पांच श्लोक ​

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Answered by savitadahiya050
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Answer:

1) स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा । सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥ अर्थ- किसी भी व्यक्ति का मूल स्वभाव कभी नहीं बदलता है. चाहे आप उसे कितनी भी सलाह दे दो. ठीक उसी तरह जैसे पानी तभी गर्म होता है, जब उसे उबाला जाता है. लेकिन कुछ देर के बाद वह फिर ठंडा

हो जाता है.

2)अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते । अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः ॥ अर्थ- बिना बुलाए स्थानों पर जाना, बिना पूछे बहुत बोलना, विश्वास नहीं करने लायक व्यक्ति/चीजों पर विश्वास करना.... ये सभी मूर्ख और बुरे लोगों के लक्षण हैं

3) यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः ।

4)चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता ॥

अर्थ- अच्छे लोगों के मन में जो बात होती है, वे वही वो बोलते हैं और ऐसे लोग जो बोलते हैं, वही करते हैं. सज्जन पुरुषों के मन, वचन और कर्म में एकरूपता होती है.

षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ।

निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता ॥ अर्थ - छः अवगुण व्यक्ति के पतन का कारण बनते हैं : नींद, तन्द्रा, डर, गुस्सा, आलस्य और काम को टालने की आदत.

द्वौ अम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम् ।

5)धनवन्तम् अदातारम् दरिद्रं च अतपस्विनम् ॥ अर्थ- दो प्रकार के लोग होते हैं, जिनके गले में पत्थर बांधकर उन्हें समुद्र में फेंक देना चाहिए. पहला, वह व्यक्ति जो अमीर होते हुए दान न करता हो. दूसरा, वह व्यक्ति जो गरीब होते हुए कठिन परिश्रम नहीं करता हो.

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