sanskrit neeti shloka
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श्रिय: प्रसूते विपदः रुणद्धि, यशांसि दुग्धे मलिनं प्रमार्टि।
संस्कार सौधेन परं पुनीते, शुद्धा हि बुद्धिः किलकामधेनुः ।।
अर्थ-
पवित्र और शुद्ध बुद्धि (समझ) कामधेनु के सामान है, यह धन-धान्य पैदा करती है; विपत्तियों से बचाती है; यश और कीर्ति रूपी दूध से मलिनता को धो डालती है; और निकटतम लोगों को अपने पवित्र संस्कारों से पवित्र करती है।
2. न अन्नोदकसमं दानं न तिथिद्वादशीसमा ।
न गायत्रयाः परो मन्त्रो न मातु: परदैवतम् ॥
अन्नदान जैसा दान नही है। द्वादशी जैसी पवित्र तिथी नही है। गायत्री मन्त्र सर्वश्रेष्ठ मन्त्र है तथा माता सब देवताओं से भी श्रेष्ठ है।
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संस्कार सौधेन परं पुनीते, शुद्धा हि बुद्धिः किलकामधेनुः ।।
अर्थ-
पवित्र और शुद्ध बुद्धि (समझ) कामधेनु के सामान है, यह धन-धान्य पैदा करती है; विपत्तियों से बचाती है; यश और कीर्ति रूपी दूध से मलिनता को धो डालती है; और निकटतम लोगों को अपने पवित्र संस्कारों से पवित्र करती है।
2. न अन्नोदकसमं दानं न तिथिद्वादशीसमा ।
न गायत्रयाः परो मन्त्रो न मातु: परदैवतम् ॥
अन्नदान जैसा दान नही है। द्वादशी जैसी पवित्र तिथी नही है। गायत्री मन्त्र सर्वश्रेष्ठ मन्त्र है तथा माता सब देवताओं से भी श्रेष्ठ है।
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संस्कृत नीति श्लोक:
सत्यं तीर्थं क्षमा तीर्थं तीर्थंमिन्द्रियनिग्रः ।
सर्वभूतदया तीर्थं तीर्थं च प्रियवादिता ।।
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