Hindi, asked by mugundhanmugundhan37, 5 hours ago

sanskrit shlok on jal​

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Answered by SamikshaNarayan
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Answer:

विवस्वानर्ष्टाभर्मासैरादायापां रसात्मिकाः। सूर्य आठ मास तक अपनी किरणों से रसस्वरूप जल को ग्रहण करके, उसे चार महीनों में बरसा देता है, उससे अन्न की उत्पति है और अन्न ही से सम्पूर्ण जगत का पोषण होता है। तासां वृष्टयूदकानीह यानि निम्नैर्गतानि तु।

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Answered by rajveer4947
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jal hi jeevan hai in sanskrit. विवस्वानर्ष्टाभर्मासैरादायापां रसात्मिकाः। सूर्य आठ मास तक अपनी किरणों से रसस्वरूप जल को ग्रहण करके, उसे चार महीनों में बरसा देता है, उससे अन्न की उत्पति है और अन्न ही से सम्पूर्ण जगत का पोषण होता है। तासां वृष्टयूदकानीह यानि निम्नैर्गतानि तु।
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