India Languages, asked by ahens7041, 7 months ago

SANSKRIT
विद्या एव मानवस्य वास्तविकं चक्षुः भवति। अनाय एव मानवः उचितम अनुचितम, करणीयम्-अकरणीयम्, ग्राहय-त्याज्य वा इति सम्यक् निर्णयं कर्तुं, शक्नोमि। प्रतिष्ठिते कुले उत्पन्नः रूपयौवनसम्पन्नः जनः अपि यदि विद्ययाहीनः भवति तदा समाजे सः
सम्मानं न प्राप्नोति। विद्यया एव सः विविधः जानं प्राप्य अत्मानं समाजस्य च उत्थानं करोति लोके धनं कीर्ति च विन्दति। विद्यया एव मानवः विनम्रता योग्यता वैभवं सुखं च लभते। विद्या मनुष्यस्य सदा मातेव रक्षां करोति पितैव हिते नियोजयति। अतएव उच्यते-किं किं न साधयति कल्पलतेव विद्या।


शुद्धं उत्तरं चित्वा लिखत:-

1. 'नियोजयति' इति क्रियापद्रस्य कर्तृपदं किम् ?

2. 'लभते' इति क्रियापद्रस्य पर्यायपदं गद्यांशे किं प्रयुक्तम् ?

3. 'रुपयौवनसम्पन्नः' इति विशेषणपदस्य विशेष्यपदं किम् ?

4. "विद्यया एव सः विविधविधं........." अत्र 'सः' इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम् ?​

Answers

Answered by Anonymous
5

Answer:

आपने मुझे दी है...... मैं कन्याकुमारी से कश्मीर तक या जावा से सिन्धु तक इस विश्वास से यात्रा करने की हिम्मत कर सकता हूँ कि मुझे हर जगह ऐसे लोग मिल जाएँगे जो हिन्दुस्तानी बोल लेते होंगे।'

टॉमस रोबक ने 1807 ई० में लिखा : 'जैसे इंग्लैण्ड जानेवाले को लैटिन सेक्सन या फ्रेंच के बदले अंग्रेजी सीखनी चाहिए वैसे ही भारत आने वाले को अरबी-फारसी या संस्कृत के बदले हिन्दुस्तानी सीखनी चाहिए।'

विलियम केरी ने 1816 ई० में लिखा : 'हिन्दी किसी एक प्रदेश की भाषा नहीं बल्कि देश में सर्वत्र बोली जानेवाली भाषा है।

एच० टी० कोलब्रुक ने लिखा : 'जिस भाषा का व्यवहार भारत के प्रत्येक प्रांत के लोग करते हैं, जो पढ़े-लिखे तथा अनपढ़ दोनों की साधारण बोलचाल की भाषा है

Similar questions