sanskriti ke parkar
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संस्कृति के प्रकार
संस्कृति दो प्रकार की हो सकती है : (1) भौतिक संस्कृति, तथा (2) अभौतिकसंस्कृति।
1. भौतिक संस्कृति -
मनुष्य द्वारा निर्मित भौतिक तथामूर्त वस्तुओं को भौतिक संस्कृति में शामिल किया जाता है। मनुष्य ने विभिन्नप्रकृतिदत्त वस्तुओं व शक्तियों को परिवर्तित करके अपनी आवश्यकताओं केअनुरूप बनाया है। ये सभी भौतिक संस्कृति के अन्तर्गत आती है। भौतिकसंस्कृति में साइकिल, स्कूटर, कार, पेन-पेन्सिल, कागज, पंखे, कूलर, फ्रिज,बल्ब, रेल, जहाज, वायुयान, टेलीफोन, मोबाइल इत्यादि सभी आते हैं। भौतिकसंस्कृति के सभी अंगों व तत्वों को सूचीबद्ध करन सरल कार्य नहीं है।मानव समाज के विकास के साथ-साथ भौतिक संस्कृति का भी विकासहुआ तथा पुरानी पीढ़ी की तुलना में नयी पीढ़ी के पास भौतिक संस्कृतिअधिक है।
2. अभौतिक संस्कृति -
इस संस्कृति में सामान्यत:सामाजिक विरासत में प्राप्त विश्वास, विचार, व्यवहार, प्रथा, रीति-रिवाज, मनोवृत्ति,ज्ञान, साहित्य, भाषा, संगीत, धर्म, नैतिकता इत्यादि को शामि किया जाताहै। ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे चलती है तथा प्रत्येक पीढ़ी में इसका अर्जनव परिवर्तन भी सम्भव होता है। यदि कोर्इ व्यक्ति अपने समाज के रीति-रिवाजोंप्रथाओं, धर्म व नैतिकता के विरूद्ध कार्य करता है तो उसे आलोचना यानिन्दा का शिकार होना पड़ता है। महत्वपूर्ण है कि अभौतिक संस्कृति भौतिकसंस्कृति की तुलना में कम परिवर्तनशील है तथा इसमें अधिक स्थायित्व पायाजाता है।
Explanation:
संस्कृति के प्रकार
संस्कृति दो प्रकार की हो सकती है : (1) भौतिक संस्कृति, तथा (2) अभौतिकसंस्कृति।
1. भौतिक संस्कृति -
मनुष्य द्वारा निर्मित भौतिक तथामूर्त वस्तुओं को भौतिक संस्कृति में शामिल किया जाता है। मनुष्य ने विभिन्नप्रकृतिदत्त वस्तुओं व शक्तियों को परिवर्तित करके अपनी आवश्यकताओं केअनुरूप बनाया है। ये सभी भौतिक संस्कृति के अन्तर्गत आती है। भौतिकसंस्कृति में साइकिल, स्कूटर, कार, पेन-पेन्सिल, कागज, पंखे, कूलर, फ्रिज,बल्ब, रेल, जहाज, वायुयान, टेलीफोन, मोबाइल इत्यादि सभी आते हैं। भौतिकसंस्कृति के सभी अंगों व तत्वों को सूचीबद्ध करन सरल कार्य नहीं है।मानव समाज के विकास के साथ-साथ भौतिक संस्कृति का भी विकासहुआ तथा पुरानी पीढ़ी की तुलना में नयी पीढ़ी के पास भौतिक संस्कृतिअधिक है।
2. अभौतिक संस्कृति -
इस संस्कृति में सामान्यत:सामाजिक विरासत में प्राप्त विश्वास, विचार, व्यवहार, प्रथा, रीति-रिवाज, मनोवृत्ति,ज्ञान, साहित्य, भाषा, संगीत, धर्म, नैतिकता इत्यादि को शामि किया जाताहै। ये पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे चलती है तथा प्रत्येक पीढ़ी में इसका अर्जनव परिवर्तन भी सम्भव होता है। यदि कोर्इ व्यक्ति अपने समाज के रीति-रिवाजोंप्रथाओं, धर्म व नैतिकता के विरूद्ध कार्य करता है तो उसे आलोचना यानिन्दा का शिकार होना पड़ता है। महत्वपूर्ण है कि अभौतिक संस्कृति भौतिकसंस्कृति की तुलना में कम परिवर्तनशील है तथा इसमें अधिक स्थायित्व पायाजाता है।