Sant Kavya Parampara ka prarambh kisse Hua Hai
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संत काव्य' का सामान्य अर्थ है संतों के द्वारा रचा गया, काव्य । लेकिन जब हिन्दी में 'संत काव्य' कहा जाता है तो उसका अर्थ होता है निर्गुणोपासक ज्ञानमार्गी कवियों के द्वारा रचा गया काव्य। भारत में संतमत का प्रारम्भ 1267 ई. में "संत नामदेव" के द्वारा किया हुआ माना जाता है।
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संत काव्य परंपरा का प्रारंभ संत नामदेव से हुआ है।
- संत काव्य का अर्थ होता है ऐसे काव्य जो ज्ञान मार्ग पर चलने वाले निर्गुणों पासक कवियों द्वारा रचित होते हैं।
- संत काव्य परंपरा का आरंभ संत नामदेव से सन 1267 में हुआ , ऐसा माना जाता है।
- संत काव्य संत कबीर, संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम , सूरदास जी जैसे अनेक संतो ने लिखे है ।
- ये सभी संत कामगार तबके से थे केवल सूरदास जी को छोड़कर। संत कबीर एक जुलाहा थे, संत नामदेव एक दर्जी थे, संत रविदास चमार थे।
- इन सभी संतों ने इस संसार सागर में भटके हुए प्राणियों का सही मार्गदर्शन किया है, उन्होंने हमें इस संसार में आने का उद्देश्य बताया है, तथा जन्म मरण के चक्र से छुटकारा पाने का उपाय भी बताया है।
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