Hindi, asked by sahanakavana0205, 9 months ago

Sant Tukaran ke upar nibhand

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Answered by nischay69
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तुकाराम महाराज महाराष्ट्र के भक्ति अभियान के 17 वी शताब्दी के कवी-संत थे। वे समनाधिकरवादी, व्यक्तिगत वारकरी धार्मिक समुदाय के सदस्य भी थे। तुकाराम अपने अभंग और भक्ति कविताओ के लिए जाने जाते है और अपने समुदाय में भगवान की भक्ति को लेकर उन्होंने बहुत से आध्यात्मिक गीत भी गाये है जिन्हें स्थानिक भाषा में कीर्तन कहा जाता है। उनकी कविताए विट्ठल और विठोबा को समर्पित होती थी.

प्रारंभिक जीवन :

        तुकाराम का जन्म पुणे जिले के अंतर्गत देहू नामक ग्राम में शके 1520; सन्‌ 1598 में हुआ। इनकी जन्मतिथि के संबंध में विद्वानों में मतभेद है तथा सभी दृष्टियों से विचार करने पर शके 1520 में जन्म होना ही मान्य प्रतीत होता है। पूर्व के आठवें पुरुष विश्वंभर बाबा से इनके कुल में विट्ठल की उपासना बराबर चली आ रही थी। इनके कुल के सभी लोग पंढरपुर की यात्रा (वारी) के लिये नियमित रूप से जाते थे। देहू गाँव के महाजन होने के कारण वहाँ इनका कुटूंब प्रतिष्ठित माना जाता था।

        इनकी बाल्यावस्था माता कनकाई व पिता बहेबा (बोल्होबा) की देखरेख में अत्यंत दुलार से बीती, किंतु जब ये प्राय: 18 वर्ष के थे इनके मातापिता का स्वर्गवास हो गया तथा इसी समय देश में पड़ भीषण अकाल के कारण इनकी प्रथम पत्नी व छोटे बालक की भूख के कारण तड़पते हुए मृत्यु हो गई। विपत्तियों की ये बातें झूटी हैं संत तुकाराम उस जमाने में बहुत बडे जमीदार और सावकार थे ये झुटे बातेहै ये लिखावटे झूठी है ज्वालाओं में झुलसे हुए तुकाराम का मन प्रपंच से ऊब गया। इनकी दूसरी पत्नी जीजा बाई बड़ी ही कर्कशा थी। ये सांसारिक सुखों से विरक्त हो गए। चित्त को शांति मिले, इस विचार से तुकाराम प्रतिदिन देहू गाँव के समीप भावनाथ नामक पहाड़ी पर जाते और भगवान्‌ विट्ठल के नामस्मरण में दिन व्यतीत करते।

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