sanyam hi sadachar hai anuched
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संयम स्वयं से प्यार करने का एक उपाय है। योगानुसार जिस व्यक्ति में संकल्प और संयम नहीं वह मृत व्यक्ति के समान है। ऐसा व्यक्ति जीवनभर विचार, भाव और इंद्रियों का गुलाम बनकर ही रहता है। संयम और संकल्प के अभाव में व्यक्ति के भीतर क्रोध, भय, हिंसा और व्याकुलता बनी रहती है, जिसके कारण उसकी जीवनशैली अनियमित और अवैचारिक हो जाती है।
बिना संकल्पित हुए बगैर योग का आरंभ करना उचित नहीं है क्योंकि इसके बिना अभ्यास फलदायक नहीं हो सकता। संकल्प है तो संयम अर्थात धैर्य भी रखना जरूरी है। संयम का योग में बहुत ही महत्व है। योग आसन या प्राणायाम न भी करें तो चलेगा, लेकिन संयमित जीवनशैली है तो व्यक्ति सदा निरोगी और प्रसन्न चित्त बना रहता है।
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