Computer Science, asked by skshivshankar9794, 10 months ago

Sanyasi Madhav Das kahan aur kis Nadi ke kinare Rahte the​

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Answered by mscheck980
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Answer:

सन्यासी माधव दास जी वृन्दावन, विश्चुला नदी  के किनारे रहते थे।

Explanation:

सन्यासी माधव दास जी वृन्दावन में रहते थे उनकी एक साधारण सी कुटिया थी जिसमे वो सारा दिन भजन ध्यान करते रहते थे।सन्यासी माधव दास जी विश्चुला नदी किनारे रहते थे।

माधव दास जी का जन्म गाँव (जिसे अभी धोबी की गुवाद्दी से जाना जाता है), तहसील चोमू में हुआ था ! इनका परिवार मध्यम वर्गीय था ! बागड़ा परिवार में जन्म लिया था !

युवावस्था -

युवा वस्था के समय ये थोड़े शरारती थे ! गाये, भैसे चराना इनका सुबह से लेकर शाम तक यही काम था! गाँव के बाहर स्थित खेतो में घास खोदते थे अपनी गायो , भैसों के लिए !

जन्म के थोड़े दिनों के पश्चात इनका परिवार पास स्थित गाँव कल्याणपुरा में चला गया था !

बाबा जी कैसे बने -

माधव दास जी बचपन में अपने माँ और बाप को खो चुके थे ! इनके एक भाई व एक बहिन थी ! भाई की मर्त्यु हो गई बहिन ससुराल चली गई ! अब माधव दास जी अकेले रह गये गाँव में ये अपने शाथियो के साथ शरारते करते थे ! इधर उधर सुभाह से शाम तक घूमना इनकी आदत सी हो गई थी ! पहले कहते थे की चत्दा चौथ का चाँद अगर कोई देख लेते थे तो कोई अशुभ घटना का संकेत होता था ! एक बार माधव दास जी अपने ४-५ साथियों के साथ गाँव के सीताराम जी के मन्दिर पर रात को चदकर पास स्थित नाइ यो के घर में पत्थर फ़ेंक दिए रात का समय था नाइ यो ने देखा की चोर आ गए और हल्ला मचा ने लगे अब माधव दास जी के सारे दोस्त तो अपने अपने घर भाग गए और बचे माधव दास जी वे कहा जाते क्योकि उनका तो कोई घर नही था वे अपराध से बचने के लिए रात को गाँव से भाग कर माले गाँव चले गए! यहाँ पर इन्होने पल्दारी का काम किया ! थोड़े दिनों बाद इन्होने दूध का काम किया ये माले गाँव में एक दुसरे गाँव से दूध लाकर बेचते थे इसी बीच रस्ते में एक जंगल पड़ता था जो की बहुत घना था इसमे से रात को शाम ५ बजे के बाद कोई नही निकल सकता था एक दिन बाबाजी लेट हो गए वे जब जंगल से गुजर रहे थे तो उनकी साईकिल गिर गई व दूध जमीं पर व बाबाजी भी जमीं पर गिर गए तथा वे उठकर जैसे तो उन्हें कोई ताकत अपनी और खीच कर ले जा रही हो चलते गए तथा वे एक नाले के पास जमीं में आधा दबा एक चबूतरा के पास चले गए जहा इन्होने पहले एस चबूतरे की सफाई की और बहुत दिनों तक उस सुनसान जंगल में अकेले तपस्या करने लगे ! बहुत दिनों बाद ये तपस्या पुरी होने पार जब ये माले गाँव आए तो एक विचित्र चेहरे को देखकर इनके जानकारों को अजीब लगा तथा वे इनसे अपनी पुरी बात कह दी ! अब ये माले गाँव में बाबाजी के रूप में परसिद्ध हो गए थे

आश्रम -

इन्होने अपना आश्रम रामनगर घिनोई जो की कल्याण पुरा के नजदीक है में बना रखा है ! आश्रम इतना सुंदर है की कोई भी इस आश्रम में एक बार जाने के बाद वापस आने का मन नही करता है ! यह आश्रम गाँव से उत्तर दिशा में बना हुआ है ! आश्रम में एक गोशाला है जिसमे लगभग २०० गायो के लिए स्थान उपलब्ध है ! जिसमे गायो की देखभाल के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त कर रखा है !

बाबा जी का एक आश्रम जयसिंह पुरा के नजदीक है ! यहाँ पर भी एक गोशाला है जिसके बाहर रात को गायो का झुंड एक मधुर सा द्रश्य अति सुंदर लगता है !

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