Sociology, asked by tomeshwartomeshwar1, 8 months ago

sanyukt parivar ki paribhasha aur uski pramukh visheshata ye ka varnan kijiye​

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Answered by Queenhu826
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मानव सभ्यता की पहली संस्कृति पवित्र जॉर्ज मैं भगवान के साथ बना रहा था परिवार के भाग्य दिन का भाग्य रात की नींद सपने की नींद आदमी औरत में तीन मानव ressures और एण्ड्रोजन माँ Androjan mammy महिला बच्चे और archet पिता पिता पुरुष बच्चे और रात की किस्मत चंद्रमा छाया अंधेरा है और यह परिवार के सूर्य के प्रकाश के दिन का भाग्य बनाता है क्योंकि यह सार्वभौमिक रूप से एकजुट होता है। विवाह के रूपों से परिवार के रूपों का घनिष्ट संबंध है। लेविस मार्गन आदि विकासवादियों का मत है कि मानव समाज की प्रारंभिक अवस्था में विवाह प्रथा नहीं थी और पूर्ण कामाचार प्रचलित था। इसके बाद सामाजिक विकासक्रम में यूथ विवाह (कई पुरुषों और कई स्त्रियों का सामूहिक रूप से पति पत्नी होना), बहुपतित्व, बहुपत्नीत्व और एकपत्नीत्व या एकपतित्व की अवस्था आई। वस्तुत: बहुविवाह और एकपत्नीत्व की प्रथा असभ्य और सभ्य सभी समाजों में पाई जाती है। अत: यह मत साक्ष्यसंमत नहीं प्रतीत होता। मानव शिशु के पालन पोषण के लिए लंबी अवधि अपेक्षित है और पहले बच्चें की बाल्यावस्था में ही अन्य छोटे बच्चे उत्पन्न होते रहते हैं। गर्भावस्था और प्रसूतिकाल में माता की देख-रेख आवश्यक है। फिर, पशुओं की भाँति मनुष्य में रति की कोई विशेष ऋतु नहीं है। अत: संभवत: मानव समाज के प्रारंभ में या तो पूरा समुदाय या फिर पति पत्नी तथा बच्चों का समूह ही परिवार था।

मानव वैज्ञानिकों को कोई ऐसा समाज नहीं मिला जहाँ विवाह संबंध परिवार के अंदर ही होते हों, अत: पितृस्थानीय परिवार में पत्नी को और मातृस्थानीय परिवार में पति को अतिरिक्त सदस्यता प्रदान की जाती है। युगल परिवार में पति और पत्नी मिलकर अपनी पृथक् गृहस्थी स्थापित करते हैं। किंतु अधिकांश समाजों में यह परिवार बृहत्तर कौटुंबिक समूह का अंग माना जाता है और जीवन के अनेक प्रसंगों में परिवार पर बृहत्तर कौटुबिक समूह का, घनिष्ट संबध के अतिरिक्त, नियंत्रण होता है। अमरीका जैसे उद्योगप्रधान देशों में कुटुंबियों के सम्मिलित परिवार के स्थान पर युगल परिवार की बहुलता हो गई है। यद्यपि वहाँ का समाज पितृवंशीय है, फिर भी युगल परिवार वहाँ किसी एक बृहत्तर कुटुंब का अंग नहीं माना जाता। युगल परिवार में पति पत्नी और, पैदा होने पर, उनके अविवाहित बच्चे होते हैं। सम्मिलित परिवारों में इनके अतिरिक्त विवाहित बच्चे और उनकी संतान, विवाहित भाई अथवा बहन और उनके बच्चे साथ रह सकते हैं। सम्मिलित परिवार में रक्त संबंधियों की परिधि भिन्न भिन्न समाजों में भिन्न भिन्न है। भारत जैसे देश में एक सम्मिलित परिवार में साधारणत: 10-12 सदस्य होते हैं, किंतु कुछ परिवारों में सदस्यों की संख्या 50-60 या 100 तक होती है।

विवाह, वंशावली, स्वामित्व और शासनाधिकार के विभिन्न रूपों के आधार पर परिवारों के विभिन्न रूप और प्रकार हो जाते हैं। मातृस्थानीय परिवार में पति अपनी पत्नी के घर का स्थायी या अस्थायी सदस्य बनता है, जबकि पितृस्थानीय परिवार में पत्नी पति के घर जाकर रहती है। मातृस्थानीय परिवार साधारणत: मातृवंशीय और पितृस्थानीय परिवार पितृवंशीय होते हैं। बहुधा परिवार की संपत्ति का स्वामित्व पितृस्थानीय परिवार में पुरुष को और मातृस्थानीय परिवार में नारी को प्राप्त है। प्राय: संपत्ति का उत्तराधिकारी ज्येष्ठ संतान होती है। किंतु यह आवश्यक नहीं है। भारत की गारो जैसी जनजाति में सबसे छाटी लड़की ही पारिवारिक संपत्ति की स्वामिनी होती है। अनेक समाजों में परिवार के सभी स्त्री या पुरुष सदस्यों में स्वमित्व निहित होता है और कुछ में पुरुष तथा स्त्री दोनों को संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त है। परिवार का शासन अधिकांश समाजों में पुरुषों के हाथ होता है। अंतर इतना है कि पितृवंशीय परिवारों में साधारणत: पिता अथवा घर का सबसे बड़ा पुरुष और मातृवंशीय परिवारों में मामा या माता का अन्य सबसे बड़ा रक्तसंबंधी (पुरुष) घर का मुखिया होता है। अत: संसार के अधिकांश भागों में और समाजों में पुरुष की प्रधानता पाई जाती है।

आधुनिक औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप परिवार की रचना और कार्यों में गंभीर परिवर्तन परिलक्षित हुए हैं। पहले सभी समाजों में परिवार समाज की सबसे महत्वपूर्ण और मौलिक संस्था थी। जीवन का अधिकांश व्यापार परिवार के माध्यम से संपन्न होता था। इन औद्योगिक समाजों में परिवार अब उत्पादन की इकाई नहीं है। बच्चों के शिक्षण का कार्य शिक्षण संस्थाओं ने लिया है। रसोई का कार्य व्यावसायिक भोजनालयों तथा जलपानगृहों में चला गया है। मनोरंजन के लिए पृथक् संगठन स्थापित हो गए हैं। सामाजिक सुरक्षा का उत्तरदायित्व राज्य के पास चला गया और धर्म के घटते हुए प्रभाव के कारण धार्मिक कृत्यों का स्थान गौण को गया है। पति और पत्नी का अधिकांश समय घर के बाहर व्यतीत होता है। फिर भी परिवार बना हुआ है और उसके द्वारा कुछ महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं, जिन्हें परिवार का स्थायी या अवशिष्ट कार्य कहा जाता है।

शीय हैं वे प्राय: मातृस्थानीय भी हैं, जहाँ पति परिवार का स्थायी या अस्थायी सदस्य होता है। गारो कबीले में तो वह आगंतुक मात्र है, जो रात भर का मेहमान होता है। किंतु मातृवंशीय और मातृस्थानीय कबीले बहुत कम हैं। बहुपतित्व कबीले तो और भी कम हैं। पितृवंशीय कबीलों में ही बहुपति प्रथा पाई गई है और इनमें नारी का वर्जा पुरुष की अपेक्षा हीन है। पितृस्थानीय कबीलों में पुरुष को एक से अधिक पत्नी रखने की प्राय: छूट है, किंतु ऐसा बहुत कम होता है कि विशिष्ट तथा शक्तिशाली लोग ही ऐसा कर पाते हैं। ऐसी अवस्था में पत्नियाँ एक घर में भी रहती हैं और पास पास बने अलग अलग घरों में भी। यूथ विवाह अपने शुद्ध रूप में किसी भी कबीले में नहीं मिलता। जौनसार बाबर में भ्रातुक बहुपति

Answered by ItZzMissKhushi
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जिस परिवार में कई पीढ़ियों के सदस्य सामान्य भोजन, आवास और सामान्य कोष से सम्बन्धित रहते हैं, उसे संयुक्त परिवार कहते हैं। ... ऐसा परिवार जिसमें सत्ता किसी पुरुष सदस्य में निहित होती है, जिसे परिवार का मुखिया या कर्ता कहा जाता है, उसे पितृसत्तात्मक परिवार कहते हैं।

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