English, asked by sanjitagiri33, 1 month ago

सपूर्ण झुत कालको प्रयोग गरी न खलको बारेमा दस वाव या वर्णन गर्नुहोस​

Answers

Answered by abhaytiwarijnv01
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Explanation:

यादृच्छिकता (रैण्डमनेस) के अनेक अर्थ हैं। सामान्यतया, इसका अर्थ है बेतरतीब होना। किसी घटना के होने अथवा ना होने की यदि कोई दिशा निर्धारित नहीं है तथा वह अनजाने कारणों से किसी नयी स्थिति की ओर बढ़ी चली जा रही है तो ऐसी क्रिया को यादृच्छिक कहते हैं। यह एक गैर-संयोजित तरीके के साथ बढ़ता हुआ क्रियाओं का क्रम है जिसका कोई प्रयोजन नहीं होता।

उदाहरण के तौर पर एक साधारण चौसर का पासा किस दिशा में गिरेगा तथा उसके मुख-पृष्ठ पर कौन सा अंक ऊपर आएगा, इसका निर्धारण करना असंभव है जब तक पासों के साथ छेड़खानी ना की गयी हो। उसी तरह एक सामान्य सिक्के के उछलने पर यह पूरे विश्वास से कह पाना असंभव है कि चिट् आएगा या पट।

गणित एवं सांख्यिकी की भाषा में ऐसी घटनाओं के होना अथवा ना होने को प्रायिकता के आधार पर आँका जाता है जिसका

plz folloमान शून्य और एक के बीच में रहता है।

यादृच्छिकता अक्सर आँकड़ों में प्रयोग की जाती है। यह अच्छी तरह से परिभाषित सांख्यिकीय गुणों, जैसे पूर्वाग्रह या सहसंबंध की कमी को दर्शाता है। कम्प्यूटेशनल विज्ञान में किसी क्रमरहित या यादृच्छिक संख्या प्राप्त करने के लिए कुछ जाने माने एल्गोरिद्म प्रयोग किये जाते हैं।

Answered by sgokul8bkvafs
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Answer:

Explanation:

अंग्रेजों ने अपनी फौज में 1857 से पहले ही गोरखा सैनिकों को रखना आरम्भ कर दिया था। 1857 के भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इन्होंने ब्रिटिश सेना का साथ दिया था क्योंकि उस समय वे ईस्ट इंडिया कम्पनी के लिए अनुबंध पर काम करते थे। महाराजा रणजीत सिंह ने भी इन्हें अपनी सेना में स्थान दिया। अंग्रेजों के लिए गोरखों ने दोनों विश्वयुद्धों में अपने अप्रतिम साहस और युद्ध कौशल का परिचय दिया। पहले विश्व युद्ध में दो लाख गोरखा सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से लगभग 20 हजार ने रणभूमि में वीरगति प्राप्त की। दूसरे विश्वयुद्ध में लगभग ढाई लाख गोरखा जवान सीरिया, उत्तर अफ्रीका, इटली, ग्रीस व बर्मा भी भेजे गए थे। उस विश्वयुद्ध में 32 हजार से अधिक गोरखों ने शहादत दी थी। भारत के लिए भी गोरखा जवानों ने पाकिस्तान और चीन के खिलाफ हुई सभी लड़ाइयों में शत्रु के सामने अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया था। गोरखा रेजिमेंट को इन युद्धों में अनेक पदको़ व सम्मानों से अलंकृत किया गया, जिनमें महावीर चक्र और परम वीर चक्र भी शामिल हैं।[2]

वर्तमान में हर वर्ष लगभग 1200-1300 नेपाली गोरखे भारतीय सेना में शामिल होते है। गोरखा राइफल्स में लगभग 80 हजार नेपाली गोरखा सैनिक हैं, जो कुल संख्या का लगभग 70 प्रतिशत है। शेष 30 प्रतिशत में देहरादून, दार्जिलिंग और धर्मशाला असम आदि के स्थानीय भारतीय गोरखे शामिल हैं। इसके अतिरिक्त रिटायर्ड गोरखा जवानों और असम राइफल्स में गोरखों की संख्या करीब एक लाख है।[

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