Hindi, asked by takkarm7, 9 months ago

सप्रसंग सहित व्यारवया करो-
जसोदा हरि पालने झुलावै।
हलराते . पुलराइ मल्यावे, जोह - सोड कछू गावै
मेरे लाल को आउ निकरिघा, काहै न आनि सुवावै ।
तू काहै नहिं बेगहि आवै, तोको‌ कान्ह बुलौव ।
कबहुँक पलक हरि मूॅदि लेत है, कबहुँ अधर फरकौव ।
सीवत जानि मौन है रहि किरिमार सैन बतौव
इविं अंतर अकुलाई उठे हरि, जसुपति मधुरै गावै ।
जो सुरव सूर अमर मुनि दुरलभ, सो नंद भामिनि पावै |​

Answers

Answered by bhumikachaudha63
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Explanation:

भावार्थ: श्रीयशोदा जी श्याम को पलने में झुला रही हैं। कभी झुलाती हैं, कभी प्यार करके पुचकारती हैं और चाहे जो कुछ गाती जा रही हैं। (वे गाते हुए कहती हैं-) निद्रा! तू मेरे लाल के पास आ! तू क्यों आकर इसे सुलाती नहीं है। तू झटपट क्यों नहीं आती? तुझे कन्हाई बुला रहा है।' श्यामसुन्दर कभी पलकें बंद कर लेते हैं, कभी अधर फड़काने लगते हैं। उन्हें सोते समझकर माता चुप हो रहती हैं और (दूसरी गोपियों को भी) संकेत करके समझाती हैं (कि यह सो रहा है, तुम सब भी चुप रहो)। इसी बीच में श्याम आकुल होकर जग जाते हैं, श्रीयशोदा जी फिर मधुर स्वर से गाने लगती हैं। सूरदास जी कहते हैं कि जो सुख देवताओं तथा मुनियों के लिये भी दुर्लभ है, वही (श्याम को बालरूप में पाकर लालन-पालन तथा प्यार करने का) सुख श्रीनन्दपत्नी प्राप्त कर रही हैं।

hope it helps............

Answered by sar17
0

Answer:

Tell in english please don t write in hindi

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