सप्रसंग व्याख्या कीजिए। मातु पितहि जनि सोचबस, करसि महीसकिसोर।
गर्भन्ह के अर्भक दलन, परसु मोर अति घोर ।
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प्रसंग :-
प्रतुत पंक्तिया हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक क्षितिज में संकलित राम - प्रश्रुराम संवाद से ली गई है जिसमे प्रश्रुराम जी कहते है की :-
भावार्थ :-
अरे राजा के बालक! तू अपने माता-पिता को सोच के वश न कर। मेरा फरसा बड़ा भयानक है, यह गर्भों के बच्चों का भी नाश करने वाला है॥
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