सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
विघ्नों का दल चढ़ आए तो, उन्हें देख भयभीत न होंगे,
अब न रहेंगे दलित दीन हम, कहीं किसी से हीन न होंगे,
क्षुद्र स्वार्थ की खातिर हम तो कभी न गर्हित कर्म करेंगे।
पुण्यभूमि यह भारतमाता, जग की हम तो भीख न लेंगे।
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विघ्नों का दल चढ़ आए तो, उन्हें देख भयभीत न होंगे,
अब न रहेंगे दलित दीन हम, कहीं किसी से हीन न होंगे,
क्षुद्र स्वार्थ की खातिर हम तो कभी न गर्हित कर्म करेंगे।
पुण्यभूमि यह भारतमाता, जग की हम तो भीख न लेंगे।
सप्रसंग व्याख्या ⦂ यह काव्य पंक्तियां ‘सुब्रह्मण्यम भारती’ द्वारा रचित कविता ‘यह भारत देश है मेरा’ नामक कविता से ली गई हैं। इन काव्य पंक्तियों के माध्यम से कवि ने भारत और भारतवासियों की महिमा का गुणगान किया है।
कवि कहते हैं कि हमारे देश पर अनेक संकट क्यों ना आ जाएंस लेकिन हम भारतवासी इतने वीर है कि उन संकटों को देखकर भी घबराते नहीं। हम भारतवासी वीरों के वंशज हैं जो हर संकट, हर विपत्ति, हर मुसीबत का डटकर सामना करते हैं।
कवि कहते हैं कि हम भारतवासी अब दलित, पिछड़े और गरीब नहीं रहेंगे। अब हमें किसी भी चीज की कमी नहीं होगी। हम भारतवासी अब वो नहीं बनेंगे जो अपने छोटे-छोटे स्वार्थों की खातिर निम्न श्रेणी के कार्य करें। हमारी यह भारत भूमि एक पुण्य भूमि है, जिसने सदैव विश्व का मार्गदर्शन किया है। इस भारत भूमि ने इस संसार को सदैव कुछ ना कुछ दिया है। हमारे यहां अनेक महान दानवीर हुए हैं और हम ऐसे दानवीरों के ही वंशज हैं। ऐसे पुण्य भूमि पर जन्म लेकर हम संसार से भीख नहीं मांग सकते। इसलिए हम भारतवासी अपना जीवन स्वाभिमान से जीने का संकल्प लेते हैं।
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