Hindi, asked by gsonu1498, 1 month ago

सप्रसंग व्याख्या कीकजए :–– “कजतने पुजारी देखे, सबको पत्थर ही पाया। पत्थर पूजते-पूजतेइनकेकदल भी पत्थर हो जातेहैं। इसके तीन तो बडे-बडे धमगशाले हैं; मुदाहैपाखंडी। आदमी चाहे, और कुछ न करे, मन में दया बनाये रखे। यही सौ धरम का एक धरम है।”​

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Answered by UnknownWe2006
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उसकी दशा देखकर दयानाथ को भी उस ... जालपा-' लालाजी के सामने तो वह ... दीनदयाल-' शायद ऐसा ही हो कुछ ...

Answered by riyaenterprises012
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Explanation:

सप्रसंग व्याख्या कीकजए :–– “कजतने पुजारी देखे, सबको पत्थर ही पाया। पत्थर पूजते-पूजतेइनकेकदल भी पत्थर हो जातेहैं। इसके तीन तो बडे-बडे धमगशाले हैं; मुदाहैपाखंडी। आदमी चाहे, और कुछ न करे, मन में दया बनाये रखे। यही सौ धरम का एक धरम है।”

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