सप्रसंग व्याख्या करो।
1. हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएँगे।
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जायेंगे।
प्रसंग
व्याख्या
Answers
सप्रसंग व्याख्या करो।
1. हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएँगे।
कनक-तीलियों से टकराकर
पुलकित पंख टूट जायेंगे।
प्रसंग: यह पंक्तियाँ हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता से ली गई है| यह कविता श्री शिव मंगल सिंह सुमन द्वारा लिखी गई है| पक्षी अपनी वाणी के माध्यम से वो अपने भाव को प्रकट करते है|
व्याख्या: इन पंक्तियों में पक्षी कहते है , हम आकाश में आज़ादी से घूमने वाले पक्षी है| हम अपना गाना पिंजरे में बंद रह कर नहीं गा पाएंगे | पिंजरे में रह कर हमारे पंख तड़प-तड़प कर टूट जाएंगे| पिंजरे में बंद कर देंगे तो वो अपना स्वाभिक खो देंगे , चहकना भूल जाएगे , उड़ना भूल जाएगे |
पिंजरे में बंद होने से अच्छा हम बहार नुम के कड़वे पत्ते खाना पसंद करते है| पक्षियों की इच्छा खुले आसमान में उड़ने की है | नदी-झरनों का बहता जल पीना चाहते हैं।वह आकाश को छूना चाहते है| अपनी इच्छा से ऊँची-से-ऊँची उड़ान भरना चाहते है,पेड़ों पर घोंसले बनाकर रहना चाहते है, नदी-झरनों का जल पीना, फल-फूल खाना चाहते है|
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