Hindi, asked by kaurjasleen86572, 3 months ago

सप्रसंग व्याख्या
निम्नलिखित काव्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
,
कर दिया मधु और सौरभ
दान सारा एक दिन,
किंतु रोता कौन है
तेरे लिए दानी सुमन ?
मत व्यथित हो फूल !
किसको सुख दिया संसार ने?
स्वार्थमय सबको बनाया
है यहाँ करतार ने!​

Answers

Answered by mrashokpandey
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संदर्भ: प्रस्तुत पद्य-खंड हमारी पाठ्य पुस्तक के 'मुरझाया फूल '

नामक कविता से उद्धृत है जिसकी रचयिता ' सुभद्रा कुमारी चौहान' जी हैं।

प्रसंग: प्रस्तुत पंक्तियों में कवियत्री ने मुरझाए पुष्प के जरिए हमें ये बताया हैं कि इस संसार में सभी स्वार्थी है इसलिए हमे व्यथित नहीं होना चाहिए क्योंकि इस स्वार्थमय दुनिया में ईश्वर ने सभी को ही ऐसा बना दिया है।

व्याख्या: इन पंक्तियों में कवियत्री कह रही हैं कि ,' हे पुष्प, इस स्वार्थमय संसार में तुमने अपना सब कुछ दान कर दिया,पर तुम्हारे लिए कोई रोने भी नहीं आता। हे पुष्प, तू दु:खी ना हो ,यहां इस स्वार्थमय दुनिया में ईश्वर ने सभी को एक जैसा ही बनाया और फिर इस संसार में किसको सुख दिया है। इसलिए हे पुष्प तुम दम दु:खी ना हो।

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