सप्रसङ्गम् अनुवादं कुरुत- (प्रसंग सहित अनुवाद कीजिए-)
(i) पूज्य ! कस्माद् भीतिः? ‘ क्षुद हृदयं दौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप’ इति भगवद्वाक्यं विस्मृतं किल पूज्यैः। अस्तु भीतिः दूरे तिष्ठतु। युद्धाय कामये आशिषा सह आज्ञा श्रीमतां तातपादानाम्।
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Answer:
प्रसङ्गः- प्रस्तुत अंश पाठ्य-पुस्तक के ‘वीरबालकः अभिमन्युः’ पाठ से उधृत है। यह पाठ वेदव्यास कृत महाभारत से संकलित है इन पंक्तियों में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु अपने ताऊ युधिष्ठिर की चिन्ता को दूर करने के लिए हिम्मत। दिलाने का काम करता है
Explanation:
अनुवाद – पूजनीय! भय किससे (किस कारण से) ‘हे परंतप (अर्जुन) हृदय की क्षुद्र दुर्बलता (कमजोरी) को त्यागकर उठ खड़ा हो’ क्या पूज्य भगवान के इस वाक्य को भूल ही गये। खैर भय दूर रहे। श्रीमान् तात श्री की आशीष के साथ युद्ध की आज्ञा चाहता हूँ।
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hii
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प्रसङ्गः- प्रस्तुत अंश पाठ्य-पुस्तक के ‘वीरबालकः अभिमन्युः’ पाठ से उधृत है। यह पाठ वेदव्यास कृत महाभारत से संकलित है इन पंक्तियों में अर्जुन पुत्र अभिमन्यु अपने ताऊ युधिष्ठिर की चिन्ता को दूर करने के लिए हिम्मत। दिलाने का काम करता है
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अनुवाद – पूजनीय! भय किससे (किस कारण से) ‘हे परंतप (अर्जुन) हृदय की क्षुद्र दुर्बलता (कमजोरी) को त्यागकर उठ खड़ा हो’ क्या पूज्य भगवान के इस वाक्य को भूल ही गये। खैर भय दूर रहे। श्रीमान् तात श्री की आशीष के साथ युद्ध की आज्ञा चाहता हूँ।
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