Hindi, asked by rohini2408, 8 months ago

सपनों के से दिन का सार​

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Answered by prabhnoormatharu
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Answer:

सपनों के से दिन एक आत्मकथा का अंश है जिसको गुरदयाल सिंह जी ने लिखा है ।

Explanation:

इस पाठ में लेखक ने अपने बचपन के उन आनंदमयी दिनों का चित्रण किया है, जब खेलते-खेलते चोट लगती थी, हाथ पैर छिल जाते थे, तब चोट लगने के बावजूद घर जाकर माता-पिता तथा बहनों की डांट खानी पड़ती थी। लेखक ने अपने स्कूली जीवन के अनुभवों को वर्णित करते हुए  कहा है कि उन दिनों स्कूल का वातावरण बहुत नीरस एवं भय उत्पन्न करने वाला हुआ करता था।

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