'सपनों के-से दिन' पाठ के आधार पर बताइए कि बच्चों का खेलकूद में अधिक रुचि लेना
अभिभावकों को अप्रिय क्यों लगता था ? पढ़ाई के साथ खेलों का छात्र जीवन में क्या महत्त्व है और
इससे किन जीवन-मूल्यों की प्रेरणा मिलती है ?
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bacho ko khel kud ke shat padai BHI karna chahiye
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अभिभावकों का मानना था कि बच्चे पढ़ाई के स्थान पर खेलते रहेंगे तो पढ़ाई नहीं कर पाएंगे इससे उनका और पैसा दोनों बर्बाद होगा यही कारण है कि बच्चों को पढ़ने के लिए कहते थे जीवन में पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का भी बहुत महत्व है खेलने से लगातार पढ़ने से उत्पन्न चुनचुनाहट ही समाप्त हो जाती है खेलने से मन को शक्ति प्रदान होती है वे शारीरिक विकास हो जीवन मूल्यों के उन्नयन में खेलों की भूमिका को नहीं समझते थे इसलिए बच्चों को खेलकूद में रुचि लेना उन्हें अप्रिय लगता था
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