Hindi, asked by shivani2608solanki, 6 months ago

सपनों के से दिन पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिये कि मारने-पीटने वाले अध्यापकों के
प्रति बच्चों की क्या धारणा बन जाती है?​

Answers

Answered by sharmakiransh
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मास्टर प्रीतमचंद सख्त अध्यापक थे। वे छात्रों की जरा-सी गलती देखते ही उनकी पिटाई कर देते थे। वे छात्रों को फ़ारसी पढ़ाते थे। छात्रों को पढ़ाते हुए अभी एक सप्ताह भी न बीता था कि प्रीतमचंद ने उन्हें शब्द रूप याद करके आने को कहा। अगले दिन जब कोई भी छात्र शब्द रूप न सुना सका तो उन्होंने सभी को मुरगा बनवा दिया और पीठ ऊँची करके खड़े होने के लिए कहा। इसी समय हेडमास्टर साहब वहाँ आ गए। उन्होंने प्रीतमचंद को ऐसा करने से तुरंत रोकने के लिए कहा और उन्हें निलंबित कर दिया।

प्रीतमचंद का निलंबन उचित ही था, क्योंकि बच्चों को इस तरह फ़ारसी क्या कोई भी विषय नहीं पढ़ाया जा सकता है। शारीरिक दंड देने से बच्चों को ज्ञान नहीं दिया जा सकता है। इससे बच्चे दब्बू हो जाते हैं। उनके मन में अध्यापकों और शिक्षा के प्रति भय समा जाता है।

बच्चों के मन से शिक्षा का भय निकालने के लिए मारपीट जैसे तरीके को बच्चों से कोसों दूर रखा जाना चाहिए। मारपीट के भय से अनेक बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं तो बहुत से डरे-सहमें कक्षा में बैठे रहते हैं और पढ़ाई के नाम पर किसी तरह दिन बिताते हैं। ऐसे बच्चों के मन में अध्यापकों के सम्मान के नाम पर घृणा भर जाती hai

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