सपनों के से दिन पाठ के लेखक गुरदयाल सिंहं की आत्मकथा के बारे में लिखिए ।
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cant understand hindi well
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'सपनों के-से दिन' पाठ के लेखक 'गुरदयाल सिंह' हैं जिसमें लेखक ने अपने स्कूल के दिनों का वर्णन किया है। लेखक अपनी आत्मकथा के इस अंश में बताते हैं कि बचपन में जब वह और मेरे साथी खेला करते थे तो सभी एक जैसे लगते थे। ... इसके बावजदू भी वे बच्चे अगले दिन फिर खेलने निकल पड़ते । लेखक बचपन में यह सब नहीं समझ पाए था
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