सपनों के से दिन पाठ के लेखक और टोपी शुक्ला नामक पात्र का बचपन एक जैसा-सा है आपके
बचपन से इनकी कथा कैसे मिलती-जुलती है।
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बचपन में लेखक अपने अध्यापक के व्यवहार को नहीं समझ पाया था उसी का वर्णन लेखक ने इस पाठ में किया है। लेखक कहता है कि उसके बचपन में उसके साथ खेलने वाले बच्चों का हाल भी उसी की तरह होता था। सभी के पाँव नंगे, फटी-मैली सी कच्छी और कई जगह से फटे कुर्ते , जिनके बटन टूटे हुए होते थे और सभी के बाल बिखरे हुए होते थे।
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