सपनो की उड़ान निबंध निहित
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सपनों की उड़ान जितनी बड़ी होती है,
उतना ही कठिन होता है उसको पाना
सपने देखते तो बहुत हैं लेकिन उनकी कीमत कहाँ सबको पता है
सपनों को पाने के लिए खुद को खोना पड़ता है
रातों को जाग कर सपनों को सजोना पड़ता है।
सपने वो जो मैं बस बंद नहीं लेकिन खुली आँखों से भी देखती हूँ
सपने वो जो मुझे रातों को सोने नहीं देते हैं
सपने वो जो मुझे हर एक पल कि कीमत समझाते हैं
सपने वो जो मुझसे कितना कुछ नया करवाते हैं
दुनिया नहीं समझती मेरे इन सपनों को
लोगों के लिए मेरी सपनों को पाने की चाह किसी पागलपन से कम नहीं
लेकिन जो कभी गिरा नहीं उसे दौड़ने के आनंद का क्या पता
जो कभी थका नहीं उसे उड़ने के आनंद का क्या पता
गिर कर फिर उठना है, और उठ कर दौड़ते जाना है मुझे
उड़ना है आकाश में और उड़ते ही जाना है मुझे
कुछ नाम कमाना, कुछ बड़ा कर जाना है मुझे
जीते जी भी मरते हुए बहुतों को देखा है
मरने के बाद भी अमर हो जाना है मुझे
जीते तो बहुत हैं और एक दिन मर जाते हैं
मरने के बाद भी जिते जाना हैं मुझे।