Sapne Mein Antriksh Yatra par anuched
अनुबर् र्यस्तवर्क खस्थनत भें र्यऩसी anuchhed
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सपने में अन्तरिक्ष यात्रा
मानव मन बड़ा चंचल हैं। पता नहीं कहां से कहां पहूच जाता हैं। इसलिए कहा भी गया हैं कि सबसे तेज गति मन की होती हैं। शायद इसी मन की गति से प्रभावित मुझे सपना आया कि मैं अंतरिक्ष की सैर पर जा रहा हूं।
अंतरिक्ष यान ने उड़ान भरी और हम विशेष प्रकार की पौशाके पहने हुए अंतरिक्ष यात्रा पर चल दिये। थोड़ी देर बाद हमें महसूस हुआ कि हमारे में भार तो बिल्कुल भी नहीं हैं। और हम यान के अन्दर ही तैर रहे हैं। यहां पानी पीना और खाना खाना भी ट्युब से लेना पड़ रहा हैं। निगलना भी आसान नहीं हैं।
इसके बाद हम यान से बाहर अंतरिक्ष में चहलकदमी करने लगे। यहां हम स्वतन्त्र रूप से उड़ रहे थे। यहां से हमने पृथ्वी को देखा जो बहुत ही सुन्दर नीले रंग की दिखाई दे रही थी। सारा आकाश हमें काला नजर आ रहा था।
फिर हम वापस यान में चले गए। यहां हमें कई प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोग करने थे। हमें यहां बड़ा मजा आ रहा था। अचानक मेरी आँख खुल गई, और पता ही नहीं चला कि मैं लौट कर किस प्रकार आ गया।
सपने में अन्तरिक्ष यात्रा
मानव मन बड़ा चंचल हैं। पता नहीं कहां से कहां पहूच जाता हैं। इसलिए कहा भी गया हैं कि सबसे तेज गति मन की होती हैं। शायद इसी मन की गति से प्रभावित मुझे सपना आया कि मैं अंतरिक्ष की सैर पर जा रहा हूं।
अंतरिक्ष यान ने उड़ान भरी और हम विशेष प्रकार की पौशाके पहने हुए अंतरिक्ष यात्रा पर चल दिये। थोड़ी देर बाद हमें महसूस हुआ कि हमारे में भार तो बिल्कुल भी नहीं हैं। और हम यान के अन्दर ही तैर रहे हैं। यहां पानी पीना और खाना खाना भी ट्युब से लेना पड़ रहा हैं। निगलना भी आसान नहीं हैं।
इसके बाद हम यान से बाहर अंतरिक्ष में चहलकदमी करने लगे। यहां हम स्वतन्त्र रूप से उड़ रहे थे। यहां से हमने पृथ्वी को देखा जो बहुत ही सुन्दर नीले रंग की दिखाई दे रही थी। सारा आकाश हमें काला नजर आ रहा था।
फिर हम वापस यान में चले गए। यहां हमें कई प्रकार के वैज्ञानिक प्रयोग करने थे। हमें यहां बड़ा मजा आ रहा था। अचानक मेरी आँख खुल गई, और पता ही नहीं चला कि मैं लौट कर किस प्रकार आ गया
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