sapny mai chand yatra
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सपने में चांद की यात्रा
नुष्य जीवन कितना छोटा है, उसकी अभिलाषाओं और सपनों से। हम जीवन में बहुत-सी इच्छाओं की कल्पना ही करते रहे जाते हैं और वे साकार नहीं होतीं। मैं कक्षा दसवीं का विद्यार्थी हूँ। कल कक्षा में अध्यापक ने विज्ञान के बारे में बताते हुए सौरमंडल और उसके ग्रहों पर चर्चा की। ये हम जानते हैं कि ग्रहों पर जीवन संभव नहीं है पर कुछ वैज्ञानिकों का मनाना है कि ब्रह्मांड में पृथ्वी के अलावा और भी ग्रह हैं जिन पर जीवन है । हालाँकि उनके बारे में अभी कुछ ज्ञात नहीं है। अध्यापक ने संभावित ग्रहों के बारे में छात्रों के विचार जाने प्रत्येक छात्र ने अपनी कल्पना के अनुसार बताया। दोपहार को विद्यालय से आकर मैंने खाना खाया और लेट गया। कक्षा में हुई बातों के विषय में सोचते-सोचते कब आँख लग गई, मुझे पता ही नहीं चला। तभी मैंने देखा कि, मैं एक बड़ी चिड़िया जैसे पक्षी पर सवार बादलों के बीच से गुजरा। धीरे-धीरे वह पक्षी चाँद की सतह पर उतरा। वहाँ उसके जैसे अनेक पक्षी थे, वह मुझे दूसरी दुनिया लगी। चारों तरफ पीले रंग के पहाड़ थे और वहाँ हरे रंग का पानी था। मैं चलता गया और पहाड़ के पीछे एक गाँव जैसे स्थान पर पहुंचा। वहाँ खेतों में लोहे के समान पेड़ थे जो काले रंग के थे । वहाँ की प्रजातियों को देखकर तो मेरी हैरानगी का ठिकाना न रहा। चींटी के समान गोल सिर पर दो एंटिना लगे हुए। गर्दन की जगह स्प्रिंग और माथे पर एक आँख उनको अपनी तरफ आता देखकर मैं डर के मारे एक पत्थर के पीछे छिप गया। लेकिन उस पक्षी ने अजीब सी आवाज़ निकाली जिससे वे मेरी ओर देखने लगे। लोहे जैसे हाथों ने मुझे धर दबोचा। पास में ही खडी उड़नतश्तरी जैसी गाड़ी में मुझे बिठा वे कहीं दूर चल दिए। रास्ते में दिखाई पड़ने वाली हर चीज अजीब और भयानक थी। डर के मारे मेरे प्राण सूख रहे थे। अचानक गाड़ी रुकी तो देखा सामने एक गहरा गड्ढा था। मुझे उसमें एक ऐसे स्थान पर ले जाया गया जहाँ से प्रकाश निकल रहा था, तेज रोशनी के कारण मैं अपनी आँखें नहीं खोल पा रहा था। उन्होंने मुझे तारों से बाँधा हुआ था। वे सारे चाँद के निवासी आपस में कुछ बात कर रहे थे पर मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। भूख और प्यास से मेरा बुरा हाल था। मैं घबराकर चिल्लाने लगा। मुझे नींद में बड़बड़ाते और चिल्लाते सुनकर मम्मी ने मुझे उठाया। नींद खुलने के साथ ही मैं कल्पना लोक से धरती पर आ गया।