Hindi, asked by manthan199wanjari, 6 months ago


सर्जनात्मक लेखन थेट शिकवणं शक्य नाही असे कोण म्हणतो? ​

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Answered by khushimahato14
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सृजनात्मक लेखन (क्रिएटिव राइटिंग) का उद्देश्य सूचित करना मात्र ही नहीं, अपितु रहस्यों व रसों को उद्घाटित करना होता है। इसे कुछ लोग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया मानते हैं। रचनात्मक लेखक कभी तटस्थ रूप से दुनिया की ठोस चीजों के बारे में बात करता है तो कभी भावविह्वल होकर वह प्रेम, पवित्रता, पलायन, ईश्वर, नश्वरता आदि विषयों के बारे में अपने उद्गार व्यक्त करता है। अन्यथा लेखन में वह अपनी अपूर्व कल्पना का इस्तेमाल करता है। वह जीवन के विभिन्न पहलुओें में संबंध बनाता है और सामाजिक स्थितियों और घटनाओं के विषय में लिखता है। इस प्रकार वह अपने लेखन में अपने हृदय के निकट के विषयों को प्रकाशित करता है, उन्हें ऊँचा उठाता है और लेखन के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाने का प्रयास करता है।

सृजनात्मकता सभी कलाओं की प्राथमिक प्रेरणा है। इसे परिभाषित करना वैसे ही काल्पनिक एवं कठिन है जैसे कि प्यार और घृणा जैसे विषयों को परिभाषित करना। सृजनात्मकता एक आदर्श वैचारिकता है जो एक कलाकार के मस्तिष्क की कल्पनापूर्ण स्वाभाविक प्रवृति है तथा कलाकार से संबंधित उसके अतीत और वर्तमान के परिवेश से प्रभावित है।

प्रभावशाली सृजनात्मक लेखन निम्नलिखित कार्य करता हैः

(१) पाठकों का ध्यान आकर्षित करता है,(२) पाठकों में रूचि व इच्छा जागृत करता है।

सृजनात्मक लेखन अर्थात् नूतन निर्माण की संकल्पना, प्रतिभा एवं शक्ति से निर्मित पदार्थ (लेख)। सृजनात्मकता को ही कॉलरिजकल्पना कहता है। कल्पना अर्थात्- नव-सृजन की वह जीवनी शक्ति जो कलाकारों, कवियों, वैज्ञानिकों और दार्शनिकों में होती है।

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