सरीसृप में कौन से प्रकार का विर्क पाया जाता है
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नाग (Indian Cobra) भारतीय उपमहाद्वीप का जहरीला (विषधर) सांप (सर्प) है। यद्यपि इसका विष करैत जितना घातक नहीं है और यह रसेल्स वाइपर जैसा आक्रामक नहीं है, किन्तु भारत में सबसे अधिक लोग इस सर्प के काटने से मरते हैं क्योंकि यह सभी जगह बहुतायत (अधिक मात्रा) में पाया जाता है।
यह चूहे खाता है जिसके कारण अक्सर यह मानव बस्तियों के आसपास, खेतों में एवं शहरी इलाकों के बाहरी भागों में अधिक मात्रा में पाया जाता है। भारत में नाग लगभग सभी इलाकों में आसानी से देखने को मिलते है यह एशिया के उन चार सांपो में से एक है जिनके काटने से अधिक लोग मरते है ज्यादा तर भारत में ये घटना होती है भारतीय नाग में सिनेप्टिक न्यूरोटॉक्सिन (synaptic neurotoxin) और कार्डिओटोक्सिन (cardiotoxin) नामक घातक विष होता है एक वयस्क नाग की लंबाई 1 मीटर से 1.5 मीटर (3.3 से 4.9 फिट) तक हो सकती है जबकि श्रीलंका की कुछ प्रजातियां लगभग 2.1 मीटर से 2.2 मीटर (6.9 से 7.9 फिट) तक हो जाती हैँ जो आसमान है
नाग की दस जातियाँ अफ़्रीका, अरब और भारत से लेकर दक्षिणी चीन, फिलीपाइन और मलाया प्रायद्वीपों में पाई जाती हैं। कुछ जातियाँ केवल दक्षिण अफ़्रीका और कुछ बर्मा तथा ईस्टइंडीज में ही पाई जाती हैं। भारत के प्रत्येक राज्य में नाग पाया जाता है। दक्षिण अफ़्रीका में कई प्रकार के नाग पाए जाते हैं, जिनमें काली गरदन वाला नाग अधिक व्यापक है। नाग के ऊपरी जबड़े के अग्रभाग में विष की थैली रहती है। इसका काटना घातक है और अधिकतर तीन से लेकर छह घंटे के भीतर मृत्यु होती है। भारत में हज़ारों व्यक्ति प्रति वर्ष साँप के काटने से मरते हैं। काली गरदन वाला नाग शत्रुओं पर कई फुट दूर तक विष थूकता है। यदि विष आँखों पर पड़ जाए तो तीव्र क्षोभ उत्पन्न होता है, जिससे आक्रांत व्यक्ति या पशु अस्थायी रूप से और कभी-कभी स्थायी रूप से अंधा हो जाता है। भारत में नाग को करिया, करैत या कहीं-कहीं फेटार भी कहते हैं। नाग ज़मीन पर रहने वाला साँप है। पर पेड़ों पर भी चढ़ जाता है और पानी पर भी तैर लेता है।
नाग का रंग कुछ पीलापन लिए हुए गाढ़े भूरे रंग का होता है। शरीर पर काली और सफेद चित्तियाँ होती हैं। यह साढ़े पाँच से छह फुट तक लंबा होता है। यह अपने सिर को ऊपर उठाकर फण को बहुत फैला सकता है, विशेषत: तब जब उसे खिझाया या छेड़ा जाता है। इससे नाग की पहचान सरलता से हो जाती है।