" सर्वे भवन्तु सुखिना ' में ही विश्व कल्याण की भावना समाहित है । “ विषय पर दो मित्रों के वार्तालाप को संवाद के रूप में लिखिए ।
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आज के इस अशांति भरे वातावरण में जहाँ हर कोई परेशां है हर किसी को कोई न कोई तकलीफ है , अधिकांश लोग दुखी हैं , ऐसे में आइये मिलकर सबके कल्याण के लिए ईश्वर से प्रार्थना करे | कहते हैं एक स्वर में की गयी प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है | एक स्वर में हम उसे याद करेंगे तो वह जरुर सुनेगा |
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ।।
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें, और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े ।
हे परम पिता परमेश्वर हम आपके हीं बच्चे हैं हम पर कृपा करो नाथ | इस सृष्टि में बनाये गये सकल जड़ और चेतन आपके हीं है प्रभु | हम तुच्छ प्राणियों पर कृपा करो प्रभु | इस माया के जगत में आ कर हम मति भ्रमित हो जातें हैं नाथ अत : हमें माफ़ कर दो नाथ | हम भूल गये हैं नाथ की की हम आपके संतान हैं और इसी कारण कष्ट पाते हैं | हम तुझे भूल कर मेरा तेरा के चक्कर में पड़ जातें हैं प्रभु इस लिए कष्ट उठाते हैं |
इस जगत में बहुत कष्टों को हमने झेला है मेरे प्रभु ! नाथ कृपा करो ! हम तुच्छ अज्ञानी प्राणी है प्रभु हमारी मति तुम्हे समझ सकने में असमर्थ है भगवन , हमारे लिए जो उचित हो वही तुम करो मेरे प्रभु | नाथ अब कृपा करो ! अब कृपा करो ! अब कृपा करो ! हमें क्षमा कर दो भगवन ! अपनी नादान ओर अल्प मति के कारण हमने बहुत कष्ट उठाये प्रभु अब तो क्षमा कर दो मेरे प्रभु |
सारे पृथ्वी के जीवों को कष्टों से निजात दो दाता | सबके कष्टों का हरण करो दयालु नाथ | सभी दुखी प्राणियों का दुःख हरण करो दयालु | तुम सा दयालु कोई नहीं है मेरे मालिक | तुम हीं तो इस जगत में व्याप्त हो फिर भी हम कष्ट पातें हैं प्रभु अपने तुच्छ मति के कारण किन्तु हमारे कृत्यों को तुम क्षमा नहीं करोगे तो कौन करेगा मेरे दाता तुम हीं तो हमारे पिता हो नाथ | कृपा करो प्रभु !
कृपा करो प्रभु ! कृपा करो प्रभु ! कृपा करो प्रभु ! दया करो ! दया करो ! दया करो !
आइये हृदय में भाव भर कर इस प्रार्थना को हम बार बार दुहरायें परम कृपालु हमारे कष्टों को जरुर दूर करेंगे !