Hindi, asked by dnvermalaksh123, 3 days ago

सर्ववप्रथम आददमानर्व ने पत्थर पर पत्थर पटककर रगडकर अथर्वा नघसकर आग पैदा की| धीरे धीरे मानर्व का वर्वकास होता गया और साथ में मेरा भी िन्म हु आ| िबसे मानर्व ममट्टी के बतवन बनाने लगा, तबसे उसने ममट्टी से म ुझे वर्वमभन्न आकारों में बनाकर, नक्काशी करके मेरा सौंदयव और भी बढाया| अब मेरे दो साथी तेल और बाती मेरे साथ थे| मैं झोपडी और घर को प्रकामशत करने लगा| बाद में उसने म ुझे धातुसे बनाना श ु रु ककया| म ुझे अलग – अलग सु ुंदर आकार और नाम ममलते गए, िैसे दढबरी, दीपक, चचराग, दीया, लालटेन आदद| मेरे दटमदटमाते प्रकाश में ककतने ही महाप ु रुषों ने अध्ययन ककया और ज्ञान से इस सुंसार को आलोककत ककया| म ुझ पर गीत मलखे गए| कहा िाता हैकी सुंगीतकारो ने मेरे मलए दीप राग भी रचा, जिसे सन ु कर मैंअपने आप िल उठता था|


१. सुंगीतकारों ने क्या ककया?
२. सर्ववप्रथम पत्थर पर पटककर रगडकर अथर्वा नघसकर आग पैदा की ?
३. दीपक के कौन- से दो साथी थे ?​

Answers

Answered by aheratharv7
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