(सरगुजा
देवनागरी लिपि के गुण या विशेषताएँ
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भारतवर्ष में राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रारम्भ से ही राष्ट्रीय एकता की दृष्टि से एक भाषा तथा एक लिपि की आवश्यकता पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया था । इस आन्दोलन के प्रारम्भ में ही देवनागरी लिपिको राष्ट्रलिपिबनाने पर बल दिया गया और इसका प्रयास सबसे पहले अहिन्दी भाषियों द्वारा किया गया था, जिसमें बंगाली, मद्रासी और मराठी विद्वान् थे । इन विद्वानों के सतत्प्र यासों एवं अमान्य कारणों से अन्ततः हिन्दी को देश की राष्ट्रभाषा और देवनागरी की राष्ट्रीय लिपि स्वीकार किया गया।
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