सरहद की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए कोई त्योहार या कोई उत्सव नहीं होता, कोई दीवाली या होली नहीं होती। उनका परिवार भी विषम परिस्थितियों से अकेला जूझता रहता है। क्या आप जानने का प्रयास करेंगे कि सैनिक और उनके परिवार को किन- किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? उस क्षण उनके (सैनिकों के) हृदय पर क्या बीती होगी, जब उनके अपनों को उनकी ज़रूरत थी, तब उन्होंने अपने कर्त्तव्य और देश की रक्षा को सर्वोपरि माना और परिवार की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। इस विषय पर आप क्या सुझाव देंगे। सरकार व समाज को ऐसे परिवार के लिए क्या व्यवस्था करनी चाहिए।
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उनका परिवार भी विषम परिस्थितियों से अकेला जूझता रहता है। ... उस क्षण उनके (सैनिकों के) हृदय पर क्या बीती होगी, जब उनके अपनों को उनकी ज़रूरत थी, तब उन्होंने अपने कर्त्तव्य और देश की रक्षा को सर्वोपरि माना और परिवार की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
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