सरकारी गवाह का आशय जालपा से पिछा न था| समाज में उनकी जो निंदा और अपकीर्ति होती है, यह भी उसे छिप न थी| सरकारी गवाह क्यों बनाए जाते है, किस तरह पलोभन दिया जाता है, किस भाति पुलिस के पुतले बनकर अपने हि मित्रों का गला छोटटे है यह उसे मालूम था|
Answers
'सरकारी गवाह' का आशय जालपा से छिपा न था। समाज में उनकी जो निंदा और अपकीर्ति होती है, यह भी उससे छिपी ने थी। सरकारी गवाह क्यों बनाए जाते हैं, किस तरह प्रलोभन दिया जाता है, किस भाति वह पुलिस के पुतले बनकर अपने ही मित्रों का गला घोंटते हैं, यह उसे मालूम था।
संदर्भ : यह गद्यांश मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित उपन्यास 'गबन' से लिया गया है। इस गद्यांश में उस प्रसंग का वर्णन है, जब उपन्यास की मुख्य पात्र जालपा और एक अन्य पात्र देवीदीन का आपस में वार्तालाप हो रहा है।
व्याख्या : जालपा जानती थी कि उसके पति को सरकारी गवाह बनाने का कोई लाभ नहीं। देवीदीन जब सरकारी गवाह बनने की बात कहता है तो उसे सरकारी गवाहों का हश्र याद आ जाता है। सरकारी गवाह बनने से समाज में बदनामी होती है, यह बात वह भली-भांति जानती थीष सरकारी गवाह किस तरह लालच देकर बनाए जाते हैं और पुलिस उन्हें कठपुतली की तरह इस्तेमाल करती है, यह भी जालपा जानती थी। वह जानती थी कि सरकारी गवाह बनने पर पुलिस की बात माननी पड़ती है, तब अपने मित्र रिश्तेदारों के खिलाफ भी जाना पड़ता है। इसीलिए वहअपने पति को सरकारी गवाह बनाने के विरुद्ध थी।
#SPJ3