सरकार ज्यादा पैसा खर्च करना चाहिए राजनीति अथवा औद्योगिकरण पर निबंध
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सरकार की उधारी क्या है?
सरकारी सिक्योरिटी एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है, जिसकी खरीद-फरोख्त होती है. केंद्र और राज्य सरकार इन्हें जारी करती हैं. इन्हें G-Sec भी कहा जाता है. केंद्र सरकार उधारी जुटाने के लिए इसे जारी करती हैं. सरकार जी-सेक जारी कर लोन लेती है. बजट दस्तावेजों में इसे कैपिटल रिसीट में शामिल किया जाता है. छोटी अवधि की सिक्योरिटी को ट्रेजरी बिल कहते हैं. ट्रेजरी बिल एक साल से कम अवधि के लिए जारी की जाती हैं. अगर इस तरह की सिक्योरिटी एक साल से अधिक की अवधि के लिए जारी की जाय तो उन्हें सरकारी बांड या डेट सिक्योरिटीज कहते हैं. सरकार इस तरह रकम उधार लेकर उससे जन कल्याण के खर्च करती है. टैक्स और नॉन टैक्स रेवेन्यू जब सरकार के खर्च के हिसाब से कम पड़ने लगते हैं तब सरकार इस तरह रकम उधार लेती है. सरकार हर साल के बजट में अपने सालाना उधारी कार्यक्रम के बारे में घोषणा करती है.
क्या सरकार बजट में जताए गए अनुमान के हिसाब से उधारी का स्तर मेंटेन करती है?
सरकार आम तौर पर बजट में की गयी घोषणा के हिसाब से ही उधारी जुटाने के प्रयास करती है. इससे बांड यील्ड मेंटेन करने में आसानी होती है. अगर किसी वजह से सरकार को टैक्स से अनुमानित आय जुटाने में मुश्किल होने लगती है तो सरकार पहले से जताए गए अनुमान से अधिक उधार भी ले लेती है. इस साल के पहले आठ महीने में सरकार का राजकोषीय घाटा लक्ष्य को पार कर 114.8 फीसदी पर पहुंच गया है.
सरकार की उधारी से उसके वित्त पर क्या असर पड़ता है?
सरकार के राजकोष पर सबसे अधिक दवाब पिछले कर्ज के ब्याज को चुकाने की वजह से पड़ता है. अगर सरकार अनुमान से अधिक उधार लेती है तो उसके ब्याज पर भी उसे अधिक रकम खर्च करना पड़ता है. इससे राजकोष का घाटा बढ़ता है. इससे सरकार के वित्त का नुकसान होता है. बड़े पैमाने पर उधार लेने के कार्यक्रम का मतलब पब्लिक कर्ज का बढ़ना है. इस वजह से डेट टू जीडीपी रेश्यो बढ़ जाता है.
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औद्योगिकरण पर निबंध
औद्योगीकरण एक सामाजिक तथा आर्थिक प्रक्रिया है, जिसमें उद्योग-धन्धों की बहुलता होती है । औद्योगीकरण के कारण शहरीकरण को बढावा मिलता है एवं मानव समूह की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बदल जाती है । कह सकते है कि यह आधुनिकीकरण का एक अंग है ।