Science, asked by shubhamhote3368, 10 months ago

सरकारी नौकरियाँ दिवास्वप्न मात्र कैसे रह गई हैं? समझाइए।

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क्या वजह है आख़िर इसकी? क्यों सरकारी नौकरी को हमारे देश में इतनी तरज़ीह दी जाती है? बीबीसी ने इस बात को समझने की कोशिश की.

हमारी मुलाक़ात अनीश तोमर से हुई. अनीश ने भारत सरकार में नौकरी के लिए अर्ज़ी दी है. उन्हें नौकरी के लिए आवेदन की प्रक्रिया रट सी गई है.

सरकारी नौकरी पाने की ये अनीश की सातवीं कोशिश है. मुक़ाबला बेहद कांटे का रहता है. एक-एक पद के लिए हज़ारों अर्ज़ियां दी जाती हैं.

इस बार तो रेलवे में नौकरी हासिल करने के लिए अनीश का मुक़ाबला अपनी पत्नी से भी होगा.

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रेलवे की ये नौकरी बहुत निचले दर्जे की है. फिर भी इसके लिए सैकड़ों लोग अप्लाई करेंगे.

अनीश ने पिछली बार जिन सरकारी नौकरियों के लिए अर्ज़ी दी थी, उनका भी यही हाल था. अनीश को इसका कोई शिकवा नहीं है.

पिछली बार उन्होंने सरकारी टीचर के लिए अर्ज़ी दी थी. इससे पहले वन विभाग में गार्ड के लिए अनीश ने अप्लाई किया था. दोनों ही बार उनके हाथ नाकामी लगी.

अनीश बताते हैं कि वन विभाग में सुरक्षा गार्ड के लिए वो फिज़िकल टेस्ट पास नहीं कर पाए थे.

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सरकारी कर्मचारियों की तनख़्वाह

28 बरस के अनीश इस वक़्त राजस्थान के भीलवाड़ा में एक हेल्थकेयर कंपनी में मार्केटिंग का काम कर रहे हैं. भीलवाड़ा छोटा सा शहर है. ये कपड़ा उद्योग के लिए मशहूर है.

अनीश को इस प्राइवेट नौकरी में 25 हज़ार रुपए महीने सैलरी मिलती है. अनीश पर काम का बोझ बहुत ज़्यादा है. वो बताते हैं कि कई बार तो रात के वक़्त उन्हें फ़ोन कॉल्स अटेंड करनी पड़ती है.

छोटे शहर से आने वाले अनीश जैसे लाखों भारतीय हैं, जो सरकारी नौकरी पाने के लिए बेक़रार हैं.

भारत में सरकारी नौकरी का मतलब है, आमदनी की गारंटी, सिर पर छत और मुफ़्त में मेडिकल सुविधाएं.

इसके अलावा सरकारी नौकरी करने वाले और उसके परिजनों को घूमने या कहीं आने-जाने के लिए पास भी मिलता है.

2006 में छठें वेतन आयोग की सिफ़ारिशें लागू होने के बाद भारत में सरकारी कर्मचारियों की तनख़्वाह भी निजी सेक्टर की नौकरियों से मुक़ाबले में आ गई थी. इसके अलावा सरकारी नौकरी की दूसरी सुविधाएं भी हैं.

जिस नौकरी के लिए अनीश ने अर्ज़ी दी है, उसमें उन्हें 35 हज़ार रुपए महीने तक सैलरी मिल सकती है. बाक़ी सुविधाएं जो मिलेंगी, सो अलग.

यही वजह है कि भारत में सरकारी नौकरियां निकलने पर हज़ारों, कई बार लाखों लोग एक साथ आवेदन कर देते हैं. रेलवे और पुलिस की नौकरी के लिए तो बड़े पैमाने पर लोग अप्लाई करते हैं.

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हज़ार की भर्ती, लाखों आवेदक

अनीश को रेलवे की नौकरी हासिल करने के लिए क़ाबिलियत के साथ-साथ क़िस्मतवाला भी होना पड़ेगा. एक पद के लिए क़रीब 200 लोगों ने आवेदन किया है.

रेलवे ने क़रीब 30 बरस के अंतराल के बाद इसी साल एक लाख नौकरियां निकाली थीं. इनमें ट्रैकमैन, कुली और इलेक्ट्रिशियन की नौकरियां हैं.

एक लाख नौकरियों के लिए क़रीब दो करोड़ तीस लाख लोगों ने अर्ज़ी दी. ऐसा नहीं है कि अर्ज़ियों की ये बाढ़ सिर्फ़ रेलवे की नौकरियों के लिए आती है.

इसके कुछ ही हफ़्तों बाद मुंबई पुलिस में 1,137 सिपाहियों की भर्ती के लिए दो लाख लोगों ने अप्लाई किया था. जबकि सिपाही मुंबई पुलिस का सबसे छोटा पद है.

2015 में यूपी में सचिवालय में क्लर्क के 368 पदों के लिए दो करोड़ तीस लाख आवेदन आए थे. यानी एक पद के लिए 6,250 अर्ज़ियां!

इतने ज़्यादा लोगों ने आवेदन दे दिया था कि सरकार को भर्ती को रोकना पड़ा. क्योंकि सभी लोगों के इंटरव्यू लेने में ही चार साल लग जाने थे.

बहुत सी ऐसी नौकरियों के लिए ख़ूब पढ़े-लिखे लोग भी अप्लाई करते हैं. इंजीनियरिंग या एमबीए की पढ़ाई करने वाले भी क्लर्क और चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन करते हैं.

जबकि ऐसे छोटे पदों के लिए आपका दसवीं पास होना और साइकिल चलाना आना चाहिए, बस.

रेलवे ने जो एक लाख नौकरियां निकाली हैं, उनमें न्यूनतम पात्रता दसवीं पास होने की है.

आख़िर क्या वजह है कि इतने बड़े पैमाने पर और ज़्यादा पढ़े-लिखे युवा सरकारी नौकरियों के लिए होड़ लगाते हैं.

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Image caption जब राज्यों में पुलिस की भर्तियाँ निकलती हैं तब भी आवेदकों की भारी संख्या देखने को मिलती है

इसकी कई वजहें हैं

जॉब सिक्योरिटी पहली वजह है. सरकारी सुविधाएं दूसरी वजह हैं. और एक बड़ी वजह ये भी है कि सरकारी नौकरी करने वाले को ख़ूब दहेज़ मिलता है.

यानी शादी के बाज़ार में सरकारी नौकरी करने वाले की ऊंची क़ीमत लगती है.

2017 में आई बॉलीवुड फ़िल्म न्यूटन में इस बात को बख़ूबी दिखाया गया है. इसमें अभिनेता राजकुमार राव सरकारी नौकरी करते हैं, जिससे उन्हें शादी करने में सहूलियत होती है.

फ़िल्म में राजकुमार राव के पिता कहते हैं, 'लड़की का बाप ठेकेदार है और तुम एक सरकारी नौकर. तुम्हारी ज़िंदगी संवर जाएगी'. फिर उनकी मां कहती है कि, 'लड़की वालों ने दहेज़ में दस लाख रुपये और एक मोटरसाइकिल देने को भी कहा है'.

न्यूटन फ़िल्म ऑस्कर मे भारत की आधिकारिक फ़िल्म थी.

भारत में रेलवे की नौकरी को बहुत अहमियत दी जाती है.

अगर आप अमरीका में रहते हैं, तो लंबे सफ़र के लिए सड़क के रास्ते जाने का ख़याल आएगा. लेकिन भारत में लंबे सफ़र ज़्यादातर रेलगाड़ी से तय करते हैं.

2017 में छपे एक लेख के मुताबिक़, भारत में रेल के एसी कोच में जितने मुसाफ़िर चलते हैं, उतने देश की सारी एयरलाइन के कुल मुसाफ़िर नहीं हैं.

उत्तर भारत के गोरखुर, झांसी और मध्य प्रदेश के इटारसी जैसे शहरों की तरक़्क़ी की बुनियाद रेलवे रही है.

Answered by PravinRatta
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हां यह बात बिल्कुल सही है कि जो भी छात्र सरकारी नौकरी की तैयारी करते हैं उनके लिए सरकारी नौकरी लेना अब मात्र एक स्वप्न जैसा हो गया है।

इसका कारण है इतनी बड़ी आबादी के सामने नौकरी कि संख्या का कम होना। अभ्यर्थी करोड़ों में हैं और नौकरियां अक्सर सैकड़ों, हजारों अथवा कभी कभी लाखों में निकलती है।

कठिन प्रतियोगिता होने से सरकारी नौकरी मिलना बहुत कठिन है। प्राइवेट सेक्टर में अच्छी स्थिति ना होने से भी लोग सरकारी नौकरी लेना चाहते हैं जिसके कारण भीड़ बढ़ती है।

सरकार के गलत नीति के कारण भी यह हो रहा है क्योंकि सरकार बहुत सारे क्षेत्रों का निजीकरण कर रही है तथा जहां पद खाली भी हैं वहां भी भर्तियां नहीं निकाल रही हैं।

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