सरकार द्वारा बाल श्रम रोकने हेतु चलाए गए अभियान
Answers
Answer:
बाल श्रम के उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा अपनाई गई वैधानिक नीति में निम्न कदम उठाए गए:
एक विधायी कार्य-योजना: सरकार ने कुछ रोजगारों में बच्चों की नियुक्ति को प्रतिबंधित करने और कुछ अन्य रोजगारों में बच्चों की कामकाजी परिस्थितियों को विनियमित करने के लिए, बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम १९८६ को प्रवर्तित किया है।
जहां भी संभव हो, बच्चों के लाभार्थ सामान्य विकास कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रण और अभिसरण के लिए,श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के अभिसरण पर एक कोर ग्रुप का गठन किया गया है ताकि सुनिश्चित हो सके कि बाल श्रमिकों के परिवारों को उनके उत्थान के लिए प्राथमिकता दी जाती है।
बाल श्रम के उच्च संकेंद्रण वाले क्षेत्रों में काम करने वाले बच्चों के कल्याण के लिए परियोजनाएँ शुरू करने हेतु परियोजना-आधारित कार्य योजना।
बाल श्रम के उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा विधायी नीति अपनाई जाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :-
रोकथाम
बाल श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, १९८६,१८ व्यवसायों और ६५ प्रक्रियाओं में १४ वर्ष की आयु से कम उम्र के बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है
अधिनियम की धारा २ में परिकल्पित अधिनियम के प्रावधानों को लागु करने की जिम्मेदारी राज्य सरकारों के पास निहित है।
भारत संध द्वारा समय-समय पर प्रवर्तन पर नजर रखा जाता है। प्रवर्तन और जागरूकता पैदा करने के लिए भी समय-समय पर विशेष अभियान भी चलाए जाते हैं।
बचाव और प्रत्यावर्तन
सिएलपीआरए के तहत संचालित निरीक्षण और छापों के दौरान बाल श्रमिकों की पहचान की जाती है, उन्हें बचाया जाता है और प्रवासी बाल श्रमिकों के मामले में, प्रत्यावर्तन के माध्यम से पुनर्वास उपायों को आगे गतिशील किया जाता है, तथा तात्कालिक शिक्षा प्रदान की जाती है जिसका परम उद्देश्य उन्हें शैक्षणिक औपचारिक प्रणाली की मुख्य धारा में जोड़ना है। इसके अलावा बचाए गए बच्चों को पूर्व व्यावसायिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है।
बाल श्रम के उन्मूलन के लिए श्रम मंत्रालय की अभिसरण रणनीति
श्रम तथा रोजगार मंत्रालय में सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओ के अभिसरण पर एक कोर ग्रुप का गठन किया गया है ताकि सुनिश्चित हो सके कि बाल श्रमिक के परिवारों को उनके उत्थान के लिए प्राथमिकता दी जाती है। बाल श्रम के मूल कारण के रूप में गरीबी और निरक्षरता को ध्यान में रखते हुए सरकार बच्चों के शौक्षिक पुनर्वास के संपूरक के रूप में उनके परिवारों के आर्थिक पुनर्वास का अनुसरण कर रही है ताकि उन्हें आर्थिक हालातों से मजबूर होकर अपने बच्चों को काम पर ण भेजना पड़े। मंत्रालय द्वारा
काम से छुड़ाए गए बच्चों को भोजन और आश्रय प्रदान करने में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय जैसे विभिन्न मंत्रालयों की आश्रय गृह आदि योजनाओं के जरिए।
एनसीएलपी स्कुल के बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने के लिए, शिक्षकों के प्रशिक्षण, सर्व शिक्षा अभियान के तहत पुस्तक आदि की आपूर्ति, और एनसीएलपी बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत मुख्य धारा में जोड़ने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के माध्यम से इस मंत्रालय के संपूरक प्रयासों के रूप में विविध सकारात्मक सक्रिय उपाय किए जा रहे हैं।
आर्थिक पुनर्वास के लिए विभिन्न आय और रोजगार पैदा करने वाली योजनाओं के तहत इन बच्चों को आवृत करने के लिए ग्रामीण विकास, शहरी आवास और गरीबी उन्मूलन,पंचायती राज मंत्रालयों के साथ अभिसरण।
राज्य श्रम विभाग से प्रत्येक राज्य में एक अधिकारी को मानव तस्करी विरोध यूनिट (एएचटीयू) के समान उस राज्य में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ समन्वयन के लिए संयोजक अधिकारी के रूप में नामित किया गया है ताकि राज्य में बच्चों की तस्करी की रोकथाम की जा सके।सीबीआई नोडल तस्करी विरोधी एजेंसी है।
बच्चों की तस्करी के संबंध में जागरूकता पैदा करने व उसे प्रतिबंधित करने के लिए रेल मंत्रालय के साथ अभिसरण।
इसके अलावा मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, एसआरओ दिल्ली के सहयोग से संयुक्त राष्ट अमेरिका के श्रम विभाग द्वारा वित्त पोषित भारतीय माँडल के समर्थन हेतु बाल श्रम के प्रति एक पायलट परियोजना अभिसरण –बच्चों की तस्करी और प्रवास सहित खतरनाक बाल श्रम की रोकथाम और उसके उन्मूलन में योगदान देने के उद्देश्य से लागू किया जा रहा है।परियोजना ४२ महीनों की अवधि के लिए बिहार, झारखंड, गुजरात, मध्य प्रदेश और उड़ीसा के दो जिलों को आवृत कर रहा है। यूएसडीओएल का दाता अंशदान ६,८५०,००० अमेरिकी डॉलर।
रेलव कर्मचारियों भी संदिग्ध प्रवासी और तस्करी बच्चों के साथ निपटने के लिए अवगत है
सरकार मानव संसाधन विकास, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, शहरी आवास एवं ग्रामीण गरीबी उन्मूलन, ग्रामीण विकास, रेलवे, पंचायती राज संस्थाओं आदि जैसे विभिन्न मंत्रालयों की योजनाओं के अभिसरण की ओर विविध सक्रीय कदम उठा रही है, ताकि बाल श्रमिक और उनके परिवारों को इन मंत्रालयों की योजनाओं के लाभों के तहत शामिल कर सकें
काम करने वालों के कल्याण के लिए परियोजना-आधारित कार्य योजना
शैक्षिक पुनर्वास के संबंध में सरकार ने २० राज्यों में २६६ बाल श्रम स्थानीय जिलों में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना स्कीम (एनसीएलपी) लागू कर रहा है.वर्तमान में लगभग ७३११ विशेष स्कूलों के ३.२ लाख बच्चों के नामांकन के साथ काम कर रहे हैं। योजना के तहत, प्रवर्तन के बाद से लगभग ८.९५ लाख बच्चों को औपचारिक प्रणाली की मुख्यधारा से जोड़ा गया है।
१९८८ में राष्ट्रीय बाल श्रम नीति के अनुसरण में बाल श्रमिकों के पुनर्वास के लिए एनसीएलपी योजना आरंभ की गई। योजना सर्वप्रथम खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं में काम करने वाले बच्चों के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रीत करते हुए, अनुक्रमिक द्दष्टिकोण अपनाने का ।