सरल अर्थ लिखिए |
१) जुबां पर जो जायका आता था जो सफा पलटने का अब उँगली 'क्लिक' करने से बस झपकी गुजरती है। बहुत कुछ तह-ब-तह खुलता चला जाता है परदे पर, किताबों से जो जाती राब्ता था, कट गया है
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जुबां पर जो जायका आता था जो सफा पलटने का,
अब उँगली 'क्लिक' करने से बस झपकी गुजरती है।
बहुत कुछ तह-ब-तह खुलता चला जाता है,
परदे पर, किताबों से जो जाती राब्ता था, कट गया है
सरलार्थ ➲ इन पंक्तियों में कवि किताब के प्रश्न पलटने और कंप्यूटर की स्क्रीन के पृष्ठ यानि वेबपेज पलटने के अंतर के बारे में बता रहे हैं। कवि कहते हैं कि किताब के प्रश्न पलटने में जो सुख और सुकून मिलता था, उसमें एक अलग आनंद आता था, जबकि कंप्यूटर पृष्ठ पलटने के लिए केवल एक उंगली द्वारा क्लिक करना होता है और एक साथ पल भर में ढेरों पृष्ठ पलटते जाते हैं, बहुत कुछ एक साथ खुलता चला जाता है जबकि किताबों के पृष्ठ को बारी-बारी से पलटना पड़ता था। इसी कारण से लोगों का किताबों से बना हुआ संपर्क अब टूटता जा रहा है।
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