Saransh of balidan and character sketch of girdhari
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प्रेमचंद हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कलाकार है. बलिदान की कहानी इन्ही के द्वारा रचित मुख्य कहानी है. इस कहानी की कथावस्तु ग्राम्य परिवेश से गृहीत है. इस कहानी में ग्रामीण श्रमिक तथा किसान वर्ग की अपने खेतो और खेती के प्रति एकनिष्ठता, लगन, सम्प्रण और स्नेह की भावना को दर्शाया गया है. इसकी कथावस्तु में बताया गया कि जिस जमीन पर किसान खेती करता है. चाहे उसका स्वामी कोई अन्य व्यक्ति क्यों न हो, वह उसके लिए केवल आजीविका का स्त्रोत नहीं होती, वरन उसका सर्वस्य होती है.
वह जमीन उसकी मन प्रतिष्ठता होती है, जिसकी रक्षा के लिए वह अपना सबकुछ गवाने के लिए तैयार रहता है. वह स्वयं अपने लिए रोटी – कपडा और माकन का आभाव झेलता है, बीमार होने पर स्वंय की उपेक्षा करके अपने इलाज पर वह भले ही के फूटी कोडी खर्च न करता हो, किन्तु अपनी खेती के लिए वह पानी साडी हस्ती मिटा देता है. यही इस कहानी की कथावास्तु है. जिसके विस्तार के लिए लेखक ने किसान हरबु और उसके बेटे गिरधारी को लेकर बलिदान कथा का ताना-बना बुना है.बलिदान कहानी का सारांश क्लास ११: आज का हरखू कोई बीस साल पहले हरखचन्द्र कुरमी हुआ करता था. उस समय उसके यहाँ शक्कर बनती थी. कारोबार खूब फैला था. कई हल की खेती थी. देश में विदेशी शक्कर के आने से उसका कारोबार मटियामेट हो गया और वह हराख्चंद्र से हरखू हो गया. आज उसके पास केवल पांच बीघा ही जमीन ज़मीन है. और केवल एक हल की खेती है.
मगर उसका स्वाभिमान आज भी बीस साल पुराना ही है. इस लिए गाँव की पंचायतों में आज भी उसकी सम्पन्ति सम्मान की द्रष्टि से देखी जाती है. वह जो बात कहता बेलगाम कहता है. और गाँव के अनपढ़ उसके सामने मुहँ नहीं खोलते थे. हरखू ने अपने जीवन में कभी दावा नहीं खाई थी. ऐसा नहीं था की वह दस-पांच दिन में चंगा हो जाता था. इस बार कार्तिक के महीने में बीमार पड़ा तो ठीक न हुआ ही न हुआ और अंत में उसने खटिया पकड़ ली. उसे लगने लगा की अब चलने के दिन आ गए है.