Saransh of Prakriti Ka seek
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पतझड़ का मतलब पेड़ का अंत नही :
कभी-कभी हमारे साथ कुछ ऐसा घटित हो जाता है जिससे हम बहुत low महसूस करते है। ऐसा लगता है जैसे अब सब कुछ खत्म हो गया इससे कई लोग depression मे चले जाते है तो कई लोग बड़ा और बेवकूफी भरा कदम उठा लेते है जैसे आत्महत्या पर जरा सोचिये पतझड़ के समय जब पेड़ मे ऐक भी पत्ती नही बचती है तो क्या उस पेड़ का अंत हो जाता है? नही। वो पेड़ हार नही मानता नए जीवन और बहार के आश मे खड़ा रहता है। और जल्द ही उसमे नयी पत्तियाँ आनी शुरू हो जाती है, उसके जीवन मे फिर से बहार आ जाती है। यही प्रकृति का नियम है। ठीक ऐसे ही अगर हमारे जीवन मे कुछ ऐसे destructive पल आते है तो इसका मतलब अंत नही बल्की ये इस बात का इशारा है कि हमारे जीवन मे भी नयी बहार आयगी। अत: हमे सबकुछ भूलकर नयी जिन्दगी की शुरूआत करनी चाहिये। और ये विश्वास रखना चाहिए कि नयी जिन्दगी पुरानी से कही बेहतर होगी।
2) कमल किचड़ मे भी रहकर अपना अलग पहचान बनाता है :
ये मेरी favorite line है। यही बात मुझे बुराई के बीच रहकर भी अच्छा करने के लिये प्ररित करती है। जिस तरह कमल कीचड़ मे रहकर भी अपने अंदर कीचड़ वाले गुण विकसित नही होने देता है उसी तरह चाहे हमारे आस-पास कितनी ही बुराईयाँ हो पर उसे अपने अंदर पनपने नही देना चाहिये। हमे अपना अलग पहचान बनाना चाहिये।
कभी-कभी हमारे साथ कुछ ऐसा घटित हो जाता है जिससे हम बहुत low महसूस करते है। ऐसा लगता है जैसे अब सब कुछ खत्म हो गया इससे कई लोग depression मे चले जाते है तो कई लोग बड़ा और बेवकूफी भरा कदम उठा लेते है जैसे आत्महत्या पर जरा सोचिये पतझड़ के समय जब पेड़ मे ऐक भी पत्ती नही बचती है तो क्या उस पेड़ का अंत हो जाता है? नही। वो पेड़ हार नही मानता नए जीवन और बहार के आश मे खड़ा रहता है। और जल्द ही उसमे नयी पत्तियाँ आनी शुरू हो जाती है, उसके जीवन मे फिर से बहार आ जाती है। यही प्रकृति का नियम है। ठीक ऐसे ही अगर हमारे जीवन मे कुछ ऐसे destructive पल आते है तो इसका मतलब अंत नही बल्की ये इस बात का इशारा है कि हमारे जीवन मे भी नयी बहार आयगी। अत: हमे सबकुछ भूलकर नयी जिन्दगी की शुरूआत करनी चाहिये। और ये विश्वास रखना चाहिए कि नयी जिन्दगी पुरानी से कही बेहतर होगी।
2) कमल किचड़ मे भी रहकर अपना अलग पहचान बनाता है :
ये मेरी favorite line है। यही बात मुझे बुराई के बीच रहकर भी अच्छा करने के लिये प्ररित करती है। जिस तरह कमल कीचड़ मे रहकर भी अपने अंदर कीचड़ वाले गुण विकसित नही होने देता है उसी तरह चाहे हमारे आस-पास कितनी ही बुराईयाँ हो पर उसे अपने अंदर पनपने नही देना चाहिये। हमे अपना अलग पहचान बनाना चाहिये।
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