सरस्वती के भंडार की, बड़ी अपूर्व बात जो खर्चे त्यों-त्यों बढ़े बिना खर्चे घटी जात iska arth kya hai
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सरस्वती के भंडार की, बड़ी अपूर्व बात।
जो खर्चे त्यों-त्यों बढ़े बिना खर्चे घटी जात ।।
अर्थ ⁝ सरस्वती का भंडार यानी ज्ञान का भंडार एक ऐसा भंडार है, जो कभी खर्च नहीं होता। सरस्वती के भंडार यानि ज्ञान के भंडार के साथ अनोखी बात यह होती है कि इस भंडार को जितना भी खर्च किया जाए, यह भंडार उतना ही अधिक बढ़ता रहता है। लेकिन यदि इस भंडार में से कुछ भी खर्च नहीं किया जाए तो यह घटता चला जाता है।
कहने का भावार्थ ये है कि विद्या यानि ज्ञान का भंडार ज्ञान एक ऐसी धन है जिसको जितना भी खर्च करें उसमें कमी नहीं आती, बल्कि ज्ञान को अधिक से अधिक बांटने से ज्ञान का और परिमार्जन होता है तथा ज्ञान में बढ़ोतरी होती जाती है। लेकिन हमारे पास जो ज्ञान है यदि उसे किसी के साथ साझा नहीं करेंगे तो वह ज्ञान हम तक ही सीमित रह जाएगा और उस ज्ञान में कमी आती जाएगी इसलिए अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त कर उसे अधिक से अधिक लोगों के साथ बांटना चाहिए।
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Answer:
tei jhalak sharfi shrivalli