सरस्वती का पावन मंदिर,
शुभ संपत्ति तुम्हारी है।
तुममें से हर बालक इसका
रक्षक और पुजारी है।
शत-शत दीपक जला ज्ञान के
नवयुग का आह्वान करो। कावयपंकित का जवाब दिजीये
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सरस्वती का पावन मंदिर,
शुभ संपत्ति तुम्हारी है।
तुममें से हर बालक इसका
रक्षक और पुजारी है।
शत-शत दीपक जला ज्ञान के
नवयुग का आह्वान करो।
संदर्भ : यह पंक्तियां द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी द्वारा रचित कविता ‘उठो धरा के अमर सपूतों’ से ली गई हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने देश के नवयुवाओं का आह्वान किया है और उन्हें देश के नव निर्माण के लिए प्रेरित किया है। कवि ने इन पंक्तियों युवाओं को शिक्षा और ज्ञान का प्रकाश फैलाने के लिये प्रेरित किया है।
भावार्थ : कवि कहता है कि यह जो तुम्हारा विद्यालय है, यह तुम्हारा शिक्षा का मंदिर है और तुम ही इस शिक्षा-मंदिर के रखवाले और छात्र रूपी पुजारी हो। तुम्हें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ज्ञान के सैकड़ों दीपों को जलाना है और इन दीपों के माध्यम से तुम्हें नए युग का निर्माण करना है। कवि कहता है कि विद्यार्थियों तुम ज्ञान के प्रकाश को इतना फैलाओ कि अज्ञान का अंधकार कहीं पर भी नहीं रह जाए। कवि ने इन पंक्तियों के माध्यम से नव युवाओं को शिक्षा प्राप्त करने और उस प्राप्त शिक्षा और ज्ञान को दूसरों में बांटने की प्रेरणा दी है।