Hindi, asked by themsak, 1 month ago

सरस्वती पूजा निबन्द
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Answered by rowdybaby999
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सरस्वती पूजा पर निबंध

मां सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है। इसको हंसवासिनी के नाम से भी जाना जाता है। वसंत पंचमी के दिन हर साल स्कूलों और कॉलेजों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पीले कपड़े पहने जाते हैं और माता की प्रतिमा की पूजा की जाती है

Answered by jyotirvarma1981
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जा समारोह short essay

प्रस्तावना : सरस्वती पूजा एक ऐसा पर्व है, जो अन्य अनेक पर्यों के साथ संसार के सभी हिन्दू बड़े समारोहपूर्वक मनाते हैं। यह समारोह ज्ञान की देवी सरस्वती के सम्मान में मनाया जाता है।

समारोह कब मनाया जाता है ? सरस्वती पूजा का मुख्य समारोह वसन्त पंचमी के दिन मनाया जाता है। इसे श्री पंचमी या वसन्त पंचमी उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। कहीं-कहीं यह उत्सव बड़ी लम्बी अवधि तक मनाया जाता है। यह माघ मास से प्रारंभ होकर फाल्गुन मास की समाप्ति तक चलता है।

समारोह का जन्म : ऐसा लगता है कि सरस्वती पूजा समारोह का संबंध प्राचीन काल के कौमुदी उत्सव तथा वसन्त उत्सव से है। वसन्तोत्सव सरस्वती पूजा के दिन से ही प्रारंभ होता है। उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर यह उत्सव फाल्गुन मास – के मध्य से प्रारंभ होकर पंद्रह दिन तक चलता है और चैत्र पूर्णिमा के दिन समाप्त होता है। इस उत्सव को मनाने का कोई स्पष्ट कारण नहीं दीखता। भारतवासियों का जीवन बड़ा सीधा-सादा होता है। उन्हें जीवन में शानो-शौकत के अवसर बहुत कम मिल पाते हैं।

अतः जब भी कोई अवसर मिल जाये, वे उसे उल्लास से मनाकर जीवन की कमी पूरी कर लेते हैं। सर्दियों की समाप्ति पर किसानों के पास विशेष काम नहीं रहता। उनकी खड़ी फसलें लहलहाने लगती हैं। संभवतः इसीलिए वे देवी-देवताओं की पूजा करके उनका आभार प्रकट करते हैं । यह वसन्त आगमन के हर्ष का द्योतक भी है।

समारोह की विशेषताएं : सरस्वती पूजा समारोह स्कूलों और कॉलेजों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करके बड़ी श्रद्धा से उनकी पूजा की जाती है। वसन्त आगमन पर उसके स्वागत के लिए लोग पीले वस्त्र पहनते हैं। लड़कियाँ और स्त्रियाँ तथा छोटे बच्चे पीले कपड़ों में बड़े सुन्दर दीखते हैं। इस दिन पढ़ने-लिखने का कोई काम नहीं किया जाता। लोग सवेरे से उपवास करते हैं। नहा-धोकर सभी मिलकर सरस्वती पूजन करते हैं और पूजा के बाद भोजन करते हैं। इस दिन पीले केसर के चावल व खीर विशेष रूप से बनाई जाती है। इस दिन शाम के समय पीली पतंगें उड़ाई जाती हैं। पीली पतंगों से आकाश भर जाता है। बहुत-से लोग दाँव लगाकर पतंगबाजी करते हैं और अपने जौहर दिखाते हैं।

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