Sarva Shiksha Abhiyan par anuched 100 to 120 words
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भारत का सर्व शिक्षा अभियान (SSA) दुनिया का सबसे सफल स्कूल कार्यक्रम है। यह 2001 में नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002) की परिणति की दिशा में शुरू किया गया था ताकि देश में प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
यह 6-14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की अनिवार्य शिक्षा पर केंद्रित है। दूरस्थ क्षेत्रों या ड्रॉपआउट में रहने वाले और समय पर स्कूल में शामिल नहीं होने वाले बच्चों के लिए शिक्षा गारंटी योजना और वैकल्पिक अभिनव शिक्षा योजना इस योजना के दो घटक हैं।
एसएसए स्कूल प्रणाली के प्रदर्शन को बेहतर बनाने और सामुदायिक स्वामित्व वाली प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने का एक प्रयास है। यह प्राथमिक शिक्षा में लिंग और सामाजिक विषमताओं को दूर करने की परिकल्पना करता है। इसमें लड़कियों, एससी और एसटी, विकलांग बच्चों और वंचित बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह स्कूल प्रणाली के सामुदायिक-स्वामित्व द्वारा प्राथमिक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने का भी एक प्रयास है। एसएसए की मुख्य विशेषताएं हैं:
(i) सार्वभौमिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए एक स्पष्ट समय सीमा वाला एक कार्यक्रम;
(ii) बुनियादी शिक्षा के माध्यम से सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का अवसर;
(iii) पूरे देश में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी शिक्षा की माँग पर प्रतिक्रिया;
Answer:
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Explanation:
सर्व शिक्षा अभियान पर निबंध! Here is an essay on ‘Sarva Siksha Abhiyan’ in Hindi language.
”जब तक देश का एक भी नागरिक अनपढ़ है, तब तक लोकतन्त्र की मंजिल दूर है ।” यह कथन श्री मौलाना आजाद का है, जिन्हें महात्मा गाँधी ‘इल्म का बादशाह’ कहते थे और जिन्होंने भारत के प्रथम शिक्षामन्त्री के रूप में आजाद भारत में शिक्षा नीति की नींव ।
घर-घर शिक्षा की ज्योत जलाने के मौलाना आजाद के इसी प्रयास को हमारे पूर्व प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पूरे भारतवर्ष में ‘सर्व शिक्षा अभियान’ कार्यक्रम का शुभारम्भ कर आगे बढ़ाया । सर्व शिक्षा का अर्थ है- सबके लिए शिक्षा । सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक आदि भेदभावों से ऊपर उठकर समान रूप से सभी बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराना ही सर्व शिक्षा ।
इस अभियान के अन्तर्गत सभी राज्य एवं संघ शासित क्षेत्र शामिल हैं तथा देश की 1,203 लाख बस्तियों में अनुमानित 19.4 करोड़ बच्चे इसके अन्तर्गत आते हैं । सर्व शिक्षा अभियान भारत के शिक्षा क्षेत्र के महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक कार्यक्रम का उद्देश्य प्रारम्भिक स्तर तक की शिक्षा के लिए सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना एवं जेण्डर सम्बन्धी अन्तर को समाप्त करना है ।
इस कार्यक्रम को आरम्भ करने की प्रेरणा वर्ष 1993-94 में शुरू किए गए जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम [District Primary Education Programme (DPEP)] से मिली । इसके अन्तर्गत 18 राज्यों को सम्मिलित किया गया था । इसकी आशिक सफलता को देख केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों को सम्मिलित करते हुए ‘सर्व शिक्षा अभियान’ नाम के समावेशी और एकीकृत कार्यक्रम का शुभारम्भ किया ।
इसके अन्तर्गत प्रारम्भिक शिक्षा (कक्षा I-VIII) की सार्वभौमिकता सुनिश्चित करते हुए सभी बच्चों के लिए कक्षा एक से आठ तक की नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का लक्ष्य निर्धारित गया । इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि इस अनिवार्य शिक्षा के लिए स्कूल बच्चों के घर के समीप हो तथा चौदह वर्ष तक बच्चे स्कूल न छोड़े ।
सर्व शिक्षा अभियान प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण से सम्बन्धित प्रमुख कार्यक्रम है । प्रारम्भिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण से सम्बन्धित कुछ सहायक कार्यक्रम हैं-ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड, न्यूनतम शिक्षा स्तर, मध्याहन भोजन योजना, पोषाहार सहायता कार्यक्रम, जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, प्राथमिक शिक्षा कोष । सर्व शिक्षा अभियान को ‘सभी के लिए शिक्षा अभियान’ के नाम से भी जाना जाता है । इस अभियान के अन्तर्गत जब पड़े सब बड़े’ का नारा दिया गया है ।
सर्व शिक्षा अभियान के अन्तर्गत निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए गए थे:
1. विद्यालय, शिक्षा गारण्टी केन्द्रों, वैकल्पिक विद्यालयों या ‘विद्यालयों में वापस अभियान’ द्वारा वर्ष 2005 तक सभी बच्चों को विद्यालय में लाना ।
2. वर्ष 2007 तक 5 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चों की प्राथमिक शिक्षा पूरी करवाना ।
3. वर्ष 2010 तक 8 वर्ष की आयु बाले सभी बच्चों की प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करवाना ।
4. शिक्षा पर बल देते हुए सन्तोषजनक गुणवत्ता की प्रारम्मिक शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करना ।
5. बर्ष 2007 तक प्राथमिक चरण और वर्ष 2010 तक प्रारम्भिक शिक्षा स्तर पर आने बाले सभी जेण्डर सम्बन्धी और सामाजिक श्रेणी के अन्तराल को समाप्त करना ।
इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ऐसी कार्यनीतियों बनाई गई, जिनमें प्रखण्ड स्तर के संसाधन केन्द्रों की स्थापना हेतु स्थानीय समुदाय समूहों एवं संस्थागत क्षमता निर्माण को सक्रिय रूप में शामिल किया । इस अभियान की रूपरेखा में शिक्षकों की नियुक्ति, उनका प्रशिक्षण, माता-पिता तथा बच्चों को प्रेरित करना, छात्रवृत्ति, बर्दी, पाक-पुस्तकों आदि प्रोत्साहनों के प्रावधान शामिल थे ।
इस कार्यक्रम के अन्तर्गत उन क्षेत्रों में नए विद्यालय खोलने का भी लक्ष्य रखा गया था जहाँ विद्यालयी सुविधाएँ कम है । इसमें अतिरिक्त कक्षाओं, शौचालयों आदि का निर्माण करने एवं पेयजल सुविधाएँ आदि उपलब्ध करने सम्बन्धी प्रावधानों के माध्यम से तत्कालीन विद्यालयी मूल संरचना को सुदृढ़ करने का भी लक्ष्य रखा गया था ।
सर्व शिक्षा अभियान में वार्षिक तौर पर Rs.15,000 करोड़ का बजट है । इस अभियान ने न केवल 99% बच्चों की प्राथमिक स्कूल में भागीदारी बढ़ाई है, बल्कि 3-4% 6-14 वर्ष के बच्चों को स्कूल छोडकर जाने से भी रोका है । इस कार्यक्रम के अन्तर्गत विशेषकर बालिकाओं, पिछड़ी जाति, जनजाति के बच्चों और गरीब बच्चों पर ध्यान दिया जाता है ।
सामान्य तौर पर सर्व शिक्षा अभियान की उपलब्धियाँ इस प्रकार रहीं:
1. स्कूल दाखिला अनुपात, जो वर्ष 1950-61 में 31.1% था, वर्ष 2003-04 में बढ़कर 85% हो गया ।
2. वर्ष 2001 में विद्यालय नहीं जाने बाले बच्चों की संख्या 32 करोड़ थी, जो वर्ष 2005 तक घटकर 96 लाख हो गई ।
3. वर्ष 2001 के बाद लगभग दो लाख नए स्कूल खोले गए और लगभग 5 लाख नए शिक्षकों की नियुक्ति की गई ।
4. प्रथम कक्षा से आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाली सभी लड़कियों एवं अनुसूचित जातियों/जनजातियों के लगभग 6 करोड़ बच्चों को नि:शुल्क पाठ्य-पुस्तकें वितरित की गईं ।
इस तरह, सर्व शिक्षा अभियान के फलस्वरूप विद्यालय छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में भारी कमी लाने में सफलता प्राप्त हुई है, लेकिन वर्ष 2010 तक सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया |