सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस गायो। अर्थ
Answers
सत की नाव खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, हरख-हरख जस गायो। अर्थ
मीरा जी कहती है , श्री कृष्ण की भक्ति पाकर मैंने , जीवन की सबसे मूल्यवान चीज़ पा ली है | इसका मुझे जन्म-जन्मान्तर से इंतजार था | जब से मुझे यह नाम प्राप्त हुआ है , तब मुझे दुनिया की सभी चीज़े खो गई है | इस नाम रूपी धन की यह विशेषता है कि यह खर्च करने घटता नहीं है , इसे कोई चुरा नहीं सकता है | यह दिन-रात बढ़ता ही जाता है | श्रीकृष्ण को पाकर मीरा ने खुशी से उनकी भक्ति की है |
Explanation:
भावार्थ -
मीराबाई कहती है, सत्य रुपी नाव को खेने वाले मेरे सतगुरु (श्री कृष्ण) है तो मैं भवसागर को पार कर ली हूँ अर्थात मोक्ष को संचालित करने वाले श्री कृष्ण के साथ मैं मोक्ष को प्राप्त कर ली हूँ ।
मेरे प्रभु श्रीकृष्ण चतुर और गिरी पर्वत को अपनी उंगली पर धारण
करने वाले हैं, जिनके यश का गुणगान मैं आनंदित होकर कर रही हूँ।।