सत्कर्मो की प्रेरणा देने वाली दस सूक्तियाँ
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१) ऊंचे कुल में जन्म लेने से कोई महान नहीं होता बल्कि मनुष्य का कर्म मनुष्य को महान बनाता है।
२) सुख में और दुख में दोनों ही समय में ईश्वर को याद करना चाहिए।
३) घर में आए हुए मेहमान के साथ कभी बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए भले ही वह आपका दुश्मन ही क्यों न हो।
४) माफ़ी मांगने से पहले माफ़ करना सीख लिजिए।
५) अहंकार को कभी भी नहीं लाना चाहिए अपने अंदर मनुष्यों को।
६) आपका भले ही लोग आलोचना करें मगर आप भूलकर भी किसी की आलोचना न करें।
७) एक सत्य १०० झूठ के बराबर होता है इसलिए सदैव सत्य बोलने का प्रयत्न करे।
८) अनावश्यक क्रोध नकारात्मक सोच उत्पन्न करती है।
२) सुख में और दुख में दोनों ही समय में ईश्वर को याद करना चाहिए।
३) घर में आए हुए मेहमान के साथ कभी बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए भले ही वह आपका दुश्मन ही क्यों न हो।
४) माफ़ी मांगने से पहले माफ़ करना सीख लिजिए।
५) अहंकार को कभी भी नहीं लाना चाहिए अपने अंदर मनुष्यों को।
६) आपका भले ही लोग आलोचना करें मगर आप भूलकर भी किसी की आलोचना न करें।
७) एक सत्य १०० झूठ के बराबर होता है इसलिए सदैव सत्य बोलने का प्रयत्न करे।
८) अनावश्यक क्रोध नकारात्मक सोच उत्पन्न करती है।
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