सत्संगति essay in hindi very easy for class 1
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कुसंगति छोड़कर सत्संगति को ही अपनाना चाहिए -
जो व्यक्ति समाज में उन्नति करना चाहता है ,उसे समाज में रहने व्यक्ति से काफी सोच समझ के बाद संपर्क जोड़ने चाहिए ,क्योंकि किसी ने ठीक ही कहा है कि मनुष्य का मन तथा जल का स्वभाव दोनों एक जैसे होते हैं। ... इसीलिए प्रत्येक मनुष्य को कुसंगति छोड़कर सत्संगति को ही अपनाना चाहिए।
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व्यक्ति कितना भी चौकस हो, कितना बुद्धिमान हो, सर्तक हो, लेकिन अगर वह बुरे व्यक्ति का संग करता है तो उस पर उसका बुरा प्रभाव पड़ना निश्चित है। मनुष्य का स्वभाव है वह जल की तरह नीचे जाने को सदैव तत्पर रहता है।
उसके विचारों, उसके जीवन को सही दिशा देने के लिये सज्जनों का साथ जरूरी है।
Essay on Satsangati in Hindiव्यक्ति की पहचान उसके मित्रों से होती है जिनके साथ वह उठता बैठता है, समय बिताता है। अगर इंसान उन्नति करना चाहता है, सुख पाना चाहता है तो वह सदैव अच्छे लोगों का साथ करे।
इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं। जब एक भटका हुआ व्यक्ति सत्संगति के कारण राह पर आ गया। ऋषि वाल्मीकि को ही लें। पहले वे डाकू थे। सप्तऋषि के वचनों से प्रभावित होकर वह तपस्वी बन गये और बाद में उन्होंने रामायण की रचना की। इसी प्रकार अंगुलिमाल एक डाकू था। महात्मा बुद्ध से साक्षात्कार होने पर वह उनके वचनों से प्रभावित हो उनकी शरण में आ गया। उसका जीवन ही बदल गया।