सत्संगति पर 200 शब्दों में एक नबंध लखें।
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जीवन में हमें हर समय किसी न किसी मित्र या साथी की आवश्यकता ज़रूर होती है। हमारे मित्र की अच्छे-बुराई का प्रभाव हमारे ऊपर अवशय पड़ता है. मित्र के बिना जीवन अधूरा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी मित्रता कुसंग लोगों के साथ रखे। एक कुसंग संगति का मित्र विष के समान होता है और एक सत्संगति का मित्र औषधि।
सत्संगति में रहकर हम चरित्रवान बन सकते है। अगर हम सत्संगति में रहते है तो हम अपनी ज़िंदगी में कभी गलत रास्ता नही पकड़ेंगे। एक सत्संगति वाला मित्र हमारा मार्गदर्शक होता है।
आज कल सत्संगति पाना बहुत कठिन होता जा रहा है। हमें दोस्ती करते हुए यह नही सोचना चाहिए कि वह गरीब है या अमीर है। हमें दूसरे व्यक्ति की भावनाओँ को समझ कर ही उससे दोस्ती करनी चाहिए क्योंकि हो सकता है कि वो व्यक्ति अच्छे स्वाभाव एवं चरित्र वाला न हो।
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